आज से GST कानून में 46 बदलाव, राहत के साथ बढ़ सकती है टेंशन

जीएसटी कानून में करीब चार दर्जन संशोधन पहली फरवरी से लागू हो रहे हैं, जिन्हें लेकर इंडस्ट्री में कहीं राहत की सांस ली जा रही है तो कहीं चिंता की लकीरें भी नजर आ रही हैं। इन सबके बीच रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म (आरसीएम) के तहत रियायतें खत्म होने और कुछ खास तरह के डीलर्स पर ही यह लागू होने के नोटिफिकेशन ने कारोबारियों में यह भ्रम पैदा कर दिया है कि रिवर्स चार्ज भी पहली फरवरी से लागू हो रहा है। हालांकि आधिकारिक सूत्रों और एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब तक उन खास डीलर्स को नोटिफाई नहीं किया जाता, रिवर्स चार्ज लागू नहीं माना जा सकता।

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्रीज की ओर से गुरुवार को जीएसटी संशोधनों पर आयोजित चर्चा के दौरान शीर्ष अधिकारियों और विशेषज्ञों ने कई अमेंडमेंट्स की पड़ताल की। जीएसटी एक्ट 2017 के सब-सेक्शन 9(4) में संशोधनों के तहत अनरजिस्टर्ड डीलर्स से खरीदारी पर 5000 रुपये तक रिवर्स चार्ज से छूट को रद्द कर दिया गया है, लेकिन इंडस्ट्री में इसे लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि अब अनरजिस्टर्ड डीलर से सभी तरह की सप्लाई पर 1 फरवरी से रिवर्स चार्ज लगेगा।

पीएचडी चैंबर की इनडायरेक्ट टैक्स कमिटी के चेयरमैन बिमल जैन ने बताया, ‘संशोधित कानून में बेशक पुरानी व्यवस्था खत्म हो गई है और रिवर्स चार्ज कुछ खास तरह के रजिस्टर्ड डीलर्स को खास सामान या सेवाओं की सप्लाई पर ही लगेगा। लेकिन सरकार ने अभी उस खास डीलर या सामान को नोटिफाई नहीं किया है। जब तक यह नोटिफाई नहीं हो जाता 1 फरवरी से रिवर्स चार्ज नहीं लगेगा।’ कई इंडस्ट्री और ट्रेड एसोसिएशंस अपने मेंबर्स को रिवर्स चार्ज को लेकर आगाह करते आ रहे थे।

फेडरेशन ऑफ पेपर मर्चेंट एसोसिएशन की जीएसटी कमेटी के कन्वेनर कृष्ण मोहन गुप्ता ने बताया, ‘हमारे एक्सपर्ट्स ने इसे इस रूप में लिया है कि चूंकि अमेंडमेंट लागू होते ही रियायतें और सितंबर तक की छूट खत्म हो गई हैं और स्पेसिफाइड रजिस्टर्ड पर्सन अभी नोटिफाई नहीं हुआ है, ऐसे में 1 फरवरी से अनरजिस्टर्ड डीलर्स से हर सप्लाई पर आरसीएम लागू होगा।’ ज्यादातर एक्सपर्ट्स का मानना है कि सरकार को अमेंडमेंट के साथ ही स्पेशिफाइड डीलर और गुड्स को भी नोटिफाई कर देना चाहिए था।

1 फवरी से लागू हो रहे दो खास प्रावधानों को लेकर इंडस्ट्री में चिंता जताई जा रही है। अगर कोई कारोबारी या कंपनी एक से ज्यादा राज्यों में रजिस्टर्ड है और एक राज्य में किसी कारण से टैक्स जमा नहीं किया तो अब कानूनन सरकार को दूसरे राज्य की ब्रांच से भी टैक्स कलेक्शन का अधिकार मिल गया है। कारोबारियों का कहना है कि लायबिलिटी ट्रांसफर के साथ क्रेडिट ट्रांसफर की भी छूट मिलनी चाहिए, अन्यथा यह इंडस्ट्री के साथ भेदभाव होगा।

इसी तरह अब तक प्राधिकरणों और ट्राइब्यूनल में अपील के लिए विवादित रकम का क्रमशः 10 पर्सेंट और 20 पर्सेंट पहले ही जमा कराना होता था, लेकिन अब क्रमशः 50 करोड़ और 100 करोड़ की कैपिंग कर दी गई है। इसका भी इंडस्ट्री में विरोध हो रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इतनी बड़ी रकम के अभाव में लोग न्याय से वंचित होंगे। इसे एक्साइज और सर्विस टैक्स रिजीम की तरह 10 करोड़ किया जाना चाहिए।

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हालांकि संशोधनों के तहत कई रियायतें भी मिलने जा रही है। फूड एंड बेवरेज कारोबारियों को इनपुट क्रेडिट मिल सकेगा। प्लेस ऑफ बिजनेस के लिहाज से अलग-अलग रजिस्ट्रेशन लिया जा सकेगा। मल्टीपल इनवॉइसेज के लिए एक ही क्रेडिट नोट या डेबिट नोट जारी करने की छूट भी मिल सकेगी। कंपोजिशन डीलर्स के लिए टर्नओवर सीमा अब एक करोड़ से बढ़कर डेढ़ करोड़ हो गई है और 50 लाख तक सर्विस प्रोवाइडर्स को भी स्कीम का लाभ मिल सकेगा। ज्यादातर इंडस्ट्री प्रतिनिधि और एक्सपर्ट्स इससे मायूस हैं कि सरकार ने 1 अप्रैल 2019 से नया रिटर्न लाने और तीन महीने पायलट बेसिस पर रखने की घोषणा की है, लेकिन अभी तक उसकी यूटिलिटी ऑनलाइन नहीं हुई है। ऐसे में इसका हश्र भी जीएसटीआर 2 और 3 की तरह हो सकता है। एनुअल रिटर्न और ऑडिट की समय सीमा भी 30 जून तक बढ़ा दी गई है, लेकिन इंडस्ट्री इसकी फैसिलटी भी जल्द ऑनलाइन करने की मांग कर रही है।

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