EVM के जमाने में बैलट पेपर के युग में नहीं जाएंगे वापस- सुनील अरोड़ा
देश में कई बार बैलेट पेपर के जरिए चुनाव कराने की मांग उठती रही है। हाल ही में 2014 के लोकसभा चुनावों में हुई कथित हैकिंग का मामला सामने आने के बाद से एक बार फिर इस मांग को बल मिला है। कांग्रेस सहित कई पार्टियां ईवीएम की बजाए बैलेट पेपर के जरिए चुनाव कराने की बात कर रही हैं। इसपर मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने दिल्ली के एक कार्यक्रम में कहा, ‘मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि बैलेट पेपर के जमाने में वापस नहीं जाने वाले हैं।’
चुनाव आयुक्त ने आगे कहा, ‘हम ईवीएम और वीवीपैट का प्रयोग करना जारी रखेंगे। हम साझेदारों के साथ ही राजनीतिक पार्टियों से हर तरह की आलोचना और फीडबैक के लिए तैयार हैं। ठीक इसी समय हम इन्हें छोड़कर बैलेट पेपर के युग में लौटने के लिए भयभीत, बुली या तंग नहीं होने वाले हैं।’
इससे पहले ईवीएम हैकिंग की बात सामने आने पर अरोड़ा ने कहा था कि जो पार्टियां चुनाव में हार जाती हैं वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को फुटबॉल की तरह समझती हैं। उन्होंने कहा था कि वोटिंग मशीन फुलप्रूफ हैं और कोई उनमें हेरफेर नहीं कर सकता है। ईवीएम कभी-कभार तकनीकी खामियों का शिकार हो जाती हैं जिन्हें कि ठीक कर दिया जाता है।
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उन्होंने कहा था, ‘ईवीएम में हेर-फेर करना संभव नहीं है। जहां तक इसमें साजिशन हेर-फेर करने की बात है यह पूरी तरह से फुलप्रूफ है। लेकिन दूसरे डिवाइस की तरह इसमें तकनीकी खामियां आ जाती हैं। खामियों की घटनाएं बहुत कम होती हैं। पांच राज्यों में हुए चुनाव केदौरान 1.76 लाख ईवीएम लगाई गई थीं जिसमें से केवल 6 में खामी आई। उन शिकायतों पर तुरंत ध्यान दिया गया।’
हाल ही में भारतीय मूल के अमेरिकी टेक एक्सपर्ट सैय्यद शुजा ने ईवीएम हैक करने का दावा किया था। जिसपर चुनाव आयोग ने कहा कि अमेरिकी साइबर एक्सपर्ट ने जो दावा किया है उसमें सच्चाई नहीं है। हम अब भी अपनी बात पर कायम हैं कि ईवीएम को कोई भी हैक नहीं कर सकता है।
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चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम मशीनों का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में बहुत सख्त सुरक्षा शर्तों के तहत किया जाता है। चुनाव आयोग ने कहा कि लंदन में हुए इस हैकथॉन के खिलाफ हमें क्या कानूनी कार्रवाई करनी है, हम इस पर सोच रहे हैं।