जानिए सुभाष चंद्र बोस ‘नेता जी’ के जीवन का एक ऐसा रहस्‍य, जिससे अभी तक थे अनजान

सुभाष चंद्र बोस ‘नेता जी’ का जीवन रहस्‍य, रोमांच और हैरत अंगेज कारनामों से भरा पड़ा है। नेता जी के जीवन बहुत सारे पहलू काफी रोचक हैं। पहले सिविल सेवा पास करना, फिर अफसरशाही की नौकरी छोड़ कर देश सेवा में पूरा जीवन झोंक देना या फिर उनकी मृत्‍यु जो आज भी लोगों के लिए पहेली से कम नहीं हैं।

इसी तरह नेता जी के जीवन का एक दिलचस्प पहलू है उनकी शादी से जुड़ा हुआ। तेज दिमाग और खूबसूरत डील-डौल के नेताजी की पर्सनैलिटी काफी आकर्षक थी। कहा जाता है कि वे जहां भी जाते थे छा जाते थे। लड़कियां उन्‍हें बहुत पंसद करती थीं। लेकिन उनकी जिंदगी में एक ऐसी महिला थीं, जिसे वो टूटकर चाहते थे।

सुभाष चंद्र बोस और उस महिला की प्रेम कथा को जानने समझने के लिए हमें काफी साल पहले 1934 की ओर जाना होगा।
दरअसल, सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान जेल में बंद सुभाष चंद्र बोस की तबीयत ख़राब होने लगी थी। नेता जी की खराब तबीयत को देख ब्रिटिश सरकार उनको इलाज के लिए यूरोप भेजने पर मान गई।

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कांग्रेस के योद्धा के तौर पर अपनी पहचान बना चुके 37 साल के नेजा जी का इलाज ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में होने लगा। इस दौरान नेजा जी ने यूरोप में रह रहे भारतीय छात्रों को आज़ादी की लड़ाई के लिए एकजुट करने के लिए निर्णय लिया।

इसी दौरान सुभाष को एक यूरोपीय प्रकाशक ने ‘द इंडियन स्ट्रगल’ किताब लिखने का काम सौंपा, जिसके बाद उन्हें एक सहयोगी की ज़रूरत महसूस हुई, जिसे अंग्रेजी के साथ साथ टाइपिंग भी आती हो।
इसी बीच वियना में सुभाष के मित्र मिस्टर माथुर ने उन्हें ख़ूबसूरत ऑस्ट्रियाई युवती एमिली शेंकल से मिलवाया, जिन्‍हें टाइपिंग भी आती थी और नौकरी की जरूरत भी थी।

सुभाष चंद्र बोस ने 23 साल की एमिली को अपनी सहायक के तौर पर रख लिया। इस दौरान दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित होने लगे और दोनों का प्‍यार परवान चढ़ने लगा। हालांकि, 1936 में सुभाष एमिली के प्यार की गर्माहट को साथ लिए हुए वापस भारत लौटे आए।

सभाष भारत आने के बाद भी एमिली को लगातार पत्र लिखते रहे।
सुभाष ने जिस तरह से रोमांटिक, गहरी भावनाओं से युक्त और जिस तरह के शब्दों और वाक्यों वाले पत्र एमिली को लिखे, उससे जाहिर है कि दोनों एक दूसरे को जबरदस्त प्यार करते थे।
आमतौर पर पत्र की शुरुआत मेरी प्यारी एमिली से होती। सुभाष किसी और को कभी इस तरह पत्र नहीं लिखते थे। एमिली को लेकर उनके अंदर कैसा भाव था, इसे उस पत्र से समझा जा सकता है, जिसे आप सुभाष चंद्र बोस का लिखा लव लेटर कह सकते हैं।

सुभाष चंद्र बोस के बड़े भाई शरत चंद्र बोस के पोते सुगत बोस ने नेता जी के जीवन पर ‘हिज़ मैजेस्टी अपोनेंट- सुभाष चंद्र बोस एंड इंडियाज स्ट्रगल अगेंस्ट एंपायर’ किताब लिखी है।

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इसमें उन्होंने लिखा है कि एमिली से मुलाकात के बाद सुभाष के जीवन में नाटकीय परिवर्तन आया। जानकारों की माने तो सुभाष और एमिली ने 1937 में ऑस्ट्रिया के शहर बडगस्टीन में गुप्‍त विवाह कर लिया था।  हालांकि, कुछ बॉयोग्राफर्स ने उनकी शादी को 1942 में होना बताया है।

बाद में आजादी की लड़ाई और कांग्रेस की राजनीति के चलते सुभाष और एमिली के बीच फासले बढ़ते चले गए।
माना जाता है कि सुभाष के परिवार को इसकी जानकारी तो बहुत बाद में 40 के दशक में हुई। इसी वजह से जवाहर लाल नेहरू ने देश के आजाद होते ही सुभाष की विधवा के लिए भारत सरकार की ओर से नियमित रूप से एक तय रकम भेजने का प्रावधान किया, जो उन दिनों 6000 रुपए के आसपास बताई जाती है।

सुभाष और एमिली के संबंध करीब नौ साल तक रहे, दोनों बमुश्किल तीन साल ही साथ रहे होंगे। सुभाष जब भी यूरोप में होते थे तो वो वियना में अपने मकान में एमिली के साथ ही रुकते थे।
कहा जाता है कि वर्ष 41 से 43 तक सुभाष के करीब रहे लोगों को भी उनके इन संबंधों की जानकारी थी। 29 नवंबर 1942 को उनकी बेटी अनिता पैदा हुई।
तब उन्होंने पहली बार अपने बड़े भाई शरत को कोलकाता में पत्र लिखकर अपनी शादी की जानकारी दी। हालांकि बोस परिवार तब दूसरे विश्व युद्ध के हालात के कारण एमिली से नहीं मिल सका लेकिन 40 के दशक के आखिर में दोनों परिवारों का भावनात्मक मिलन हुआ।

बेटी के जन्म के कुछ ही समय बाद आठ जनवरी 1943 को सुभाष जर्मनी से जापान के लिए रवाना हो गए। यहीं एमिली और बेटी अनिता से उनकी आखिरी मुलाकात थी। इसके बाद 1945 में हवाई दुर्घटना में उनके निधन की खबर आई।

सुभाष और एमिली ने अपनी शादी को लेकर सार्वजनिक तौर पर कभी कुछ नहीं कहा लेकिन शायद लगता है कि दोनों में ये सहमति थी कि इस शादी को भारत की आजादी के बाद ही उजागर किया जाएगा।

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