56 इंची सीना दिखाने हिंद महासागर में उतरेगा भारत, इस वजह से बढ़ गयी हैं चिंताएं
नई दिल्ली। चीन की सक्रियाता लगातार हिंद महासागर में बढ़ रही है। इसको रोकने के लिए भारत सरकार ने 56 नए युद्धपोतों और 6 नए सबमरीन्स बनाने की अनुमति दे दी है। इसके लिए ऑडर भी दे दिया गया है जो 10 साल में बन जायेंगे।
बता दें हिंद महासागर में चीन की बढ़ती सक्रियता से भारत चिंतित है और इसलिए उसे नए सैनिक साजोसामान की जरूरत पड़ रही है। बता दें, भारतीय नौसेना के पास वर्तमान में 140 युद्धपोत और 220 एयरक्राफ्ट हैं, जबकि डोमेस्टिक शिपयार्ड में 1.26 लाख करोड़ की लागत वाले 32 युद्धपोत तैयार किया जा रहे हैं।
नेवी सूत्रों के मुताबिक, इसके लिए बड़े फंड की जरूरत होगी। इन युद्धपोतों और पनडुब्बियों के लिए अलग से बड़े फंड की जरूरत होगी, क्योंकि पिछले पांच साल में रक्षा बजट में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है, जबकि नेवी ने साल 2027 तक 212 युद्धपोत और 458 लड़ाकू विमान का लक्ष्य रखा है।
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एडमिरल सुनील लांबा के मुताबिक, चीन हर समय हिंद महासागर के पिछले हिस्से में अपनी सेना लेकर टिका रह सकता है, लेकिन शक्ति संतुलन हमारे पक्ष में है। लेकिन उसकी नीतियों को आक्रामकता को देखते हुए भारत को भी अपना रुख कड़ा करना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, पूरी दुनिया की निगाहें हिंद महासागर क्षेत्र पर टिकी हुई हैं जहां हमारी नौसेना की मौजदूगी तेजी से बढ़ रही है। हमारी समुद्री सुरक्षा रणनीति राष्ट्रीय विकास को होने वाले सभी पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों से सुरक्षा दिलाने पर आधारित है।
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चीन हिंद महासागर में लॉजिस्टिकल हब्स की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहा है। अगस्त 2017 में चीन ने अफ्रीका के जिबूती में अपना पहला ओवरसीज नेवल बेस बनाया था। भारत ने भी यूएस और फ्रांस के साथ मिलिट्री लॉजिस्टिक्स समझौते किए हैं जिससे नेवी की ताकत बढ़ सके।