क्षतिपूर्ति भुगतान के बजाय, उपनिवेशवाद की बुराई स्वीकार करे ब्रिटेन : शशि थरूर

न्यूयॉर्क कांग्रेस सांसद व लेखक शशि थरूर ने कहा है कि भारत में ब्रिटिश राज के दौरान इसका शोषण करने के बाद क्षतिपूर्ति भुगतान करने के बजाय ब्रिटेन को उपनिवेशवाद की अपनी बुरी परंपरा को जरूर स्वीकार करना चाहिए और अपनी जनता को इस बारे में सीख देनी चाहिए।

शशि थरूर

न्यूयॉर्क में जयपुर साहित्य महोत्सव के एक संस्करण के सत्र में थरूर ने गुरुवार को कहा, “इतिहास आगे बढ़ चुका है।”

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उन्होंने सवालिया लहजे में कहा, “आप अकाल से हुई 3.5 करोड़ मौतों, बंधुआ मजदूरी में खो चुकी पीढ़ियों और औपनिवेशिक लूट की भरपाई का आंकलन कैसे कर सकते हैं?”

थरूर ने कहा कि 200 सालों तक भारत पर राज करने के बदले सालाना एक पाउंड की प्रतीकात्मक क्षतिपूर्ति हो सकती है, लेकिन ब्रिटेन द्वारा उपनिवेशवाद के वास्तविक इतिहास और इसके प्रभाव को समझना कहीं ज्यादा जरूरी है, खासकर वहां के युवाओं के लिए, जो कभी-कभी फिर से उठ खड़े होने वाले साम्राज्य का सपना देखते हैं।

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कांग्रेस सांसद ने कहा कि ब्रिटेन के संग्रहालय एक तरह से चोर बाजार हैं, जो उपनिवेशों ले लूटे गए सामानों से भरे हैं। वहां शाही युद्ध संग्रहालय तो है लेकिन उपनिवेशवाद का संग्रहालय नहीं है।

थरूर ‘इंग्लोरियस एम्पायर : व्हाट द ब्रिटिश डिड टू इंडिया’ पुस्तक के लेखक हैं, जो औपनिवेशिक लूट पर प्रकाश डालती है। यह पुस्तक भारत और ब्रिटेन में बेस्टसेलर रही है।

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