
उम्र बढ़ने के साथ ही लोगों को कई बीमारियां जकड़ने लगती है। इसका सबसे महत्वपूर्ण कारण है लोगों का अपनी उम्र में सही से खान-पान का ध्यान न रखना। हर व्यक्ति अपने टाइम में बाहर का उलटा सीधी खाना ही पसंद करता है। लेकिन उनका यही खाना आगे जाकर उनके लिए परेशानी का सबब बनता है। इसी तरह ही लोगों में शरीर की अन्य बीमारियों के साथ ही आंखों से संबंधित कई बीमारियां अपनी ओर घसीट लेती है। आइये जानते हैं आंखों से संबंधित बीमारी और उनसे बचने के उपचार।
क्या है एपिरेटिनल मेंब्रेन
यह आंखों से जुड़ी समस्या है। यह अधिकतर 45-50 उम्र के लोगों को होती है। इस मर्ज में अंधेपन का खतरा नहीं होता है, पर रोजमर्रा के काम करने में बहुत परेशानियां आ सकती हैं। यह बीमारी बहुत ही धीमी गति से अपना प्रभाव दिखाती है। बढ़ती उम्र के साथ यह बीमारी बहुत ही घातक सिद्ध होती है। आंखों में टिश्यूज की बहुत पतली सी परत होती है,जो रेटिना पर केंद्रित छवि के प्रति संवेदनशील होती है और मस्तिष्क को जानकारी भेजती है। यह रेजिना का वो स्थान है जहां से हम पढ़ने और आकार को पहचानने का काम करते हैं।
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कारण
रेटिना पर एक पतली सी पर्त होती है, जब यह पर्त रेटिना की सतह से एक झिल्लीदार शीट में बढ़ने लगती है। यही झिल्ली समय के साथ रेटिना को सिकोड़ने लगती है। जिसकारण आंखों से देकने की शक्ति कम होने लगती है। इस समस्या का सबसे आम कारण पोस्टीरियर विट्रियस डिटेचमेंट (पीवीडी) नामक आयु से संबंधित एक स्थिति है, जहां आंखों को भरने वाली विट्रियस जैल रेटिना से अलग होती है।
लक्षण
पढ़ने लिखने में समस्या
चेहरे को पहचानने में दिक्कत
धुंधला दिखना
लहरदार दिखना
छोटे अक्षरों को पढ़ने में ज्यादा समस्या
इलाज
विट्रोरेटिना सर्जरी के द्वारा आंखों की रोशनी को वापस लाया जा सकता है। विट्रोरेटिना सर्जरी के दौरान आंखों से विट्रियस जैल को हटाया जाता है और जो भी बीमारी है उसके अनुसार ऑपरेशन किया जाता है। अगर खून आया है तो उसे हटाया जाता है। आंखों का पर्दा अगर अपनी जगह से खिसक गया है तो उसे बिठाया जाता है और अगर परदे पर कोई झिल्ली आ गयी है तो उसे हटाया जाता है।