फेसबुक के खिलाफ एकजुट हुए आठ देश, जुकरबर्ग को लिखा लेटर
सैन फ्रासिस्को। भारत और म्यांमार समेत आठ देशों के कार्यकताओं के एक गठबंधन ने फेसबुक से संयम के लिए एक पारदर्शी और सुसंगत दृष्टिकोण अपनाने का की अपील की है। कार्यकर्ताओं के गठबंधन की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान में संबद्ध देशों में मानवाधिकार उल्लंघनों को बढ़ावा देने, गलत सूचना फैलाने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में छल-छद्म का व्यवहार करने में फेसबुक की भूमिका में नागरिक अधिकारों और राजनीतिक पूर्वाग्रहों को रोकने की मांग की।
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इस समूह में भारत और म्यांमार के अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, वियतनाम, फिलीपींस, सीरिया और इथोपिया के प्रतिनिधि कार्यकर्ता शामिल हैं।
समूह द्वारा उठाई गई मांग इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि म्यांमार में नागरिकता से वंचित रोहिंग्या मुस्लिम के खिलाफ घृणास्पद पोस्ट के प्रसार को रोकने में विफल रहने के कारण फेसबुक की आलोचना हो रही है।
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सोशल मीडिया के क्षेत्र में अग्रणी मंच को दुनियाभर के अनेक देशों में राजनीतिक हथकंडे को सक्षम बनाने में अपनी भूमिका को लेकर आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
अमेरिकी मीडिया ‘द वर्ज’ ने शुक्रवार को अपनी एक रपट में कहा कि अभी दो महीने भी नहीं हुए हैं, जब म्यांमार में कार्यकर्ताओं के समूह की ओर से फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को पत्र भेजकर उनसे अधिक पादर्शिता बरतने की अपील की गई थी।
समूह में शामिल इक्वलिटी लैब के कार्यकारी निदेशक, थेनमोझी सुंदरराजन ने कहा, “हमारे समुदाय के लिए इंसाफ पाने की कोशिश में कई देश फेसबुक से जुड़े हुए हैं।”
इक्वलिटी लैब दक्षिण एशियाई देशों का संगठन है, जो हाशिए पर मौजूद समुदायों का उत्पीड़न समाप्त करने के मकसद से काम कर रहा है।
सुंदरराजन ने कहा, “हम देख रहे हैं कि फेसबुक का अलग-अलग बाजारों के लिए अलग-अलग मानक है।”
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