इसे पढ़कर आप भी कहेंगे कि शाहिद अफरीदी को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री होना चाहिए

नई दिल्ली: दुनिया में जब क्रिकेट के खेल का नाम लिया जाता है तो पाकिस्तानी टीम की तारीफें होती हैं. लेकिन यही पाकिस्तान आज क्रिकेट के गलियारों में इतना बदनाम हो चुका है कि कोई भी देश यहां खेलने को तैयार नहीं है.

पाकिस्तानी टीम

भारत में आईपीएल की तर्ज पर पाकिस्तान में भी इन दिनों एक घरेलू क्रिकेट सीरीज का आयोजन हो रहा है जिसका नाम है पीसीएल यानी पाकिस्तान क्रिकेट लीग. इस सीरीज का अंतिम मैच 25 मार्च को खेला जायेगा. ख़ास बात ये है कि इसमें किसी भी इंडियन क्रिकेटर ने अपने बल्ले का जौहर नहीं दिखाया है.

ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि 2009 के बाद से बीसीसीआई ने किसी भी आइपीएल खेलने वाले भारतीय खिलाड़ी को पाकिस्तान में खेलने से मना कर रखा है. ऐसा इसलिए ज़रूरी भी है क्योंकि पाकिस्तान की सरजमीं को भारत आतंक की जननी मानता है. अब लड़ाई-झगड़ा और खेल एक साथ तो हो नहीं सकते.

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आए दिन दोनों देशों के नेताओं की जुबानी जंग छिड़ती है तो सरहद पर सेनाओं के बीच भिड़ंत होती है. ऐसे में खेल का तो सवाल ही पैदा नहीं होता. पूरी दुनिया इसके लिए पाकिस्तान को ही दोषी मानती है क्योंकि वहां चलने वाली आतंकी फैक्ट्रियों के बारे में चीन को छोड़ कर सबको खबर है.

इन सबके बीच पाकिस्तान के स्टार क्रिकेटर शाहिद अफरीदी ने एक ऐसा बयान दिया है जो पाकिस्तान के नेताओं सहित पूरी अवाम के लिए मिसाल है. शाहिद ने लाहौर में एक समारोह के दौरान कहा कि भारत के खिलाड़ियों को भी पीसीएल में खेलने के लिए बुलाया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि भले ही भारत के कई खिलाड़ी आईपीएल खेलते हैं जिस वजह से वो इस सीरीज में नहीं खेल पाएंगे लेकिन उन्हें बुलाने की कोशिश जरूर होनी चाहिए.

शाहिद का ये बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि टीम इंडिया 2009 के बाद से पाकिस्तान के दौरे पर नहीं गई है. उस साल श्रीलंका की टीम पर आंतकी हमला हो गया था और उसके बाद किसी भी इंटरनेशनल टीम ने पाकिस्तान जाकर खेलने का रिस्क नहीं लिया.

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शाहिद ने माना कि ऐसा होने से इंटरनेशनल क्रिकेट के भी अच्छे दिन वापस लौट आएंगे.

जो भी हो लेकिन शाहिद की बात में दम जरूर दिखता है. इस बात से यह भी साबित होता है कि पाकिस्तान में लाखों आतंकियों के बीच चंद लोग ऐसे भी हैं जो अपने मुल्क की बेहतरी का रास्ता जानते हैं.

सवाल ये है की जब सीमा पर बंदूकों और तोपों से बात हो रही है तब क्या कोई दोस्ती की मिसाल कहे जाने वाले इस खेल को पाकिस्तान में जाकर खेलने का रिस्क लेगा. क्योंकि बारूद के ढेर पर मैच खेलना इतना आसान भी नहीं है.

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