जनता को मिलेगा ‘बिजली का अधिकार’, पावर कट हुआ तो सजा पक्की

नई दिल्ली: सत्ताधारी पार्टियों में स्लोगन युक्त कार्यों को करने में काफी दिलचस्पी रही है. कांग्रेस राज में ‘सूचना का अधिकार’, ‘भोजन का अधिकार’ और ‘रोजगार का अधिकार’ मिला तो अब बारी मोदी सरकार में ‘बिजली के अधिकार’ की है. केंद्र सरकार संसद के मानसून सत्र में बिजली आपूर्ति पाने के अधिकार के लिए बिल लाने की योजना बना रही है.बीजेपी सरकार

सरकार की अन्य योजनाओं की तरह ही इस प्लान पर भी जनता के लिए उम्मीदों के महल खड़े होते दिखाई दे रहे हैं. अगर योजना के क्रियान्वयन में मंचीय तत्परता बनी रही तो व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन देखने को मिल सकता है.

बीजेपी सरकार ने सभी गांवों के विद्युतीकरण के लिए 1 मई 2019 की डेडलाइन रखी है लेकिन अभी केवल 935 गांवों में बिजली सुविधा पहुंची है. सरकार इन गांवों में भी 15 अप्रैल तक बिजली पहुंचा देने की उम्मीद लगाए हुए है.

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गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी जब मई 2014 में देश की सत्ता पर विराजमान हुए थे उस समय 4 करोड़ परिवार बिजली की सुविधा से वंचित थे.

मोदी सरकार द्वारा लाए जाने वाले विधेयक में सामान्य स्थिति में ग्राहक को पावर सप्लाई न देने पर डिस्ट्रिब्यूटर्स को दंड देने का प्रावधान होगा.

सामान्य स्थिति का मतलब यह है कि ब्रेकडाउन न हो और कोई तकनीकी खामी न होने पाए.

देश में थर्मल और हाइड्रो पावर का उत्पादन जरूरत से ज्यादा हो रहा हैं ऐसे में ट्रांसमिशन के लक्ष्य पूरा करना होगा.

इसके तहत अप्रैल 2019 से सामान्य स्थितियों में दिन में 24 घंटे बिजली सप्लाई नहीं होने पर पावर डिस्ट्रिब्यूटर्स को जवाबदेह ठहराया जाएगा लेकिन मौजूदा समय में अभी करोड़ों परिवार हैं जिनके घरों को अभी भी रोशनी का इंतजार है.

पीएम नरेंद्र मोदी ने देश में हर परिवार को दिन-रात बिजली सप्लाई सुनिश्चित करने की समयसीमा 1 अप्रैल 2019 तय की है. विद्युत् अधिकारियों के मुताबिक बिजली उत्पादन के लक्ष्य तो हासिल किए जा चुके हैं लेकिन सभी गांवों में पावर ट्रांसमिशन की सुविधा इस साल अप्रैल तक ही दी जा सकेगी.

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पावर मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया, ‘मुख्य बाधा डिस्ट्रिब्यूशन की नही बल्कि प्रोडक्शन और ट्रांसमिशन की है.

उन्होंने कहा कि ये पावर कट मुख्य रूप से ‘कॉमर्सियल वजहों’ से होते हैं न कि टेक्निकल फॉल्ट के चलते.

सरकार की ‘सौभाग्य योजना’ के तहत 29 लाख 33 हजार परिवारों को बिजली की सुविधा पहुंचाई जा चुकी है. यह योजना 11 अक्टूबर 2017 को शुरू की गई थी.

नए नियमों के तहत किसी परिवार को बिजली सुविधा संपन्न तभी माना जाता है जब उसका पहला बिजली बिल लेजर में दर्ज हो जाये ऐसे में सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम मील का पत्थर साबित हो सकता है.

 

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