
31 जनवरी को माघ मास की पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण पड़ रहा है. यह ग्रहण बुधवार के दिन होगा. शास्त्रों के अनुसार, चंद्र ग्रहण के समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए. इन नियमों को ना मानने से किसी को भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
ग्रहण का समय शाम 5 बजे के बाद से रात 8.45 बजे के बीच रहेगा. जिस दिन ग्रहण रहता है, उस दिन ग्रहण के समय से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. 31 जनवरी की सुबह 8 बजे के बाद सूतक शुरू हो जाएगा. सूतक काल में पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए.
ये काम नहीं करने चाहिए
ग्रहण काल में पूजा
चंद्र ग्रहण के समय किसी भी प्रकार की पूजा नहीं करनी चाहिए. इसी वजह से ग्रहण काल में सभी मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं. सिर्फ मंत्रों का मानसिक जप किया जा सकता है.
पति-पत्नी को संयम
ग्रहण काल में पति-पत्नी को संयम रखना चाहिए यानी दूरी बनाए रखनी चाहिए. यदि ग्रहण के समय पति-पत्नी द्वारा संबंध बनाए जाते हैं तो यह अशुभ माना गया है. शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के समय बनाए गए संबंध से उत्पन्न होने वाली संतान में कई बुराइयां हो सकती हैं.
ग्रहण के बाद पका हुआ भोजन
शास्त्रों की मान्यता है कि ग्रहण से पूर्व पकाया हुआ भोजन, ग्रहण के बाद खाने योग्य नहीं रह जाता है. अत: चंद्र ग्रहण के समय घर में रखे हुए पके भोजन में तुलसी के पत्ते डाल देना चाहिए. इसके लिए शाम से पहले से तुलसी के पत्ते तोड़कर रख लेने चाहिए. भोजन की पवित्रता भी बनी रहती है.
तेल मालिश
ग्रहण के समय तेल मालिश नहीं करनी चाहिए, जो लोग ऐसा करते हैं. उन्हें त्वचा संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ता है.
ग्रहण काल में सोना
जो लोग ग्रहण के समय सोते हैं, उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. गर्भवती स्त्री, रोगी और वृद्धजन इस समय में सो सकते हैं, विश्राम कर सकते हैं.