केंद्र सरकार की बेरुखी… दो साल से 50 हजार मदरसा शिक्षकों को नहीं मिला वेतन
नई दिल्ली। पिछले दो साल से मदरसा शिक्षक आर्थिक तंगी से जुझ रहे हैं। देशभर के 16 राज्यों से करीब 50,000 से अधिक मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षक अपनी सैलरी का इंतजार कर रहे हैं। केन्द्र की मोदी सरकार पिछले दो सालों से इनके लिए आवंटित फंड जारी नहीं किया हैं। ये सभी शिक्षक केंद्र सरकार की स्कीम फॉर प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा (SPQEM) के तहत रजिस्टर्ड हैं।
ख़बरों के मुताबिक मदरसों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए 2008-09 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्कीम फॉर प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजुकेशन की शुरुआत की थी। इसमें मदरसा शिक्षकों को वेतन केंद्र सरकार द्वारा दिया जाना होता है।
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टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, ग्रेजुएट शिक्षकों को छह हजार और पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों को 12 हजार रुपए प्रति माह दिए जाते हैं। जोकि उनकी पूरी वेतन का 75 से 80 फीसदी हिस्सा है।
वहीं अखिल भारतीय मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षक संघ के अध्यक्ष रजा खान का कहना है कि देश में 18 हजार मदरसे हैं और 16 राज्यों के शिक्षक वेतन की समस्या से परेशान हैं कई राज्यों में दो तो कई में तीन वर्षों से वेतन नहीं दिया गया है।
वहीँ इस पूरे मामले में यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी का कहना है कि प्रदेश के सभी मदरसों का बजट उनके जिलों में पहुँच गया है और कुछ मदरसों के शिक्षकों का वेतन कई कारणों से रुका है। इन कारणों को सुलझाने के बाद सभी को वेतन भुगतान कर दिया जायेगा।