बदल गई वेलेंटाइन डे मनाने की असली वजह

वेलेंटाइन डेनई दिल्ली| फूलों से गुलजार वसंत महीने में चारों तरफ प्यार और उल्लास का महीना होता है। वेलेंटाइन डे हर साल 14 फरवरी को मनाया जाता है। यह रोम के संत वेलेंटाइन की याद में मनाया जाता है। माना जाता है कि वह सामाजित कुरीतियों को दूर कर लोगों के बीच प्यार व सद्भाव का प्रचार-प्रसार करते थे, वह 269 ईस्वी में शहीद हो गए और 14 फरवरी 269 को वह फ्लेमेनिया में दफनाए गए। उनके अवशेष रोम के सेंट फ्रेक्स्ड चर्च और डबलिन (आयरलैंड) के स्ट्रीट कामिलेट चर्च में रखे हुए हैं।

एक अन्य बिशप टर्नी को भी वेलेंटाइन का सूत्रपात करने वाला माना जाता है, जो 197 ईस्वी में सम्राट ऑरोलियन के उत्पीड़न से शहीद हो गए थे, लेकिन रोम के वेलेंटाइन की समाधि से उन्हें अलग दफनाया गया।

समाज के लोगों के बीच आपसी प्यार व सद्भाव की कामना से शुरू हुआ वेलेंटाइन अब मुख्य रूप से प्रेमी जोड़ों के प्यार के त्योहार के रूप में मनाया जाने लगा है। भारत में 1992 के आसपास वेलेंटाइन डे मनाने का प्रचलन शुरू हुआ। वैश्विक बाजार की प्रतिस्पर्धा और पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव से भारतीय युवाओं ने भी वेलेंटाइन को धूमधाम से मनाना शुरू कर दिया।

युवा जोड़े एक-दूसरे को वेलेंटाइन कार्ड से लेकर तरह-तरह के महंगे उपहार देने लगे। कई होटल इस मौके पर युवा जोड़े के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करते हैं।

वैसे शिवसेना, बजरंग दल इसे भारतीय संस्कृति की छवि को धूमिल करने वाला मानते हैं और इन दलों के सदस्य वेलेंटाइन डे के दिन पार्को व अन्य जगहों पर प्रेमी युगलों को निशाना बनाते हैं।

कभी आसाराम बापू ने वेलेंटाइन डे को मातृ-पितृ दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया, जिससे प्रभावित होकर छत्तीसगढ़ में पब्लिक स्कूलों में इस दिन सार्वजनिक अवकाश तक की घोषणा कर दी गई। स्वयंभू संत अब कैदी का जीवन गुजार रहे हैं।

वेलेंटाइन डे के मौके पर बाजारों में अलग ही रौनक छाई रहती है, दिल के आकार वाले हीरे के पेंडेंट से लेकर टेडी बीयर, हार्ट शेप के कार्ड्स, चांदी का गुलाब, ‘आई लव यू’ लिखे चांदी के पायल और कई गिफ्ट आइटम धड़ल्ले से बिकते हैं। इस दौरान 15-20 रुपये में बिकने वाला एक लाल गुलाब 30 से 80 रुपये में बिकता है।

कुछ लोग इसे पाश्चात्य संस्कृति को बढ़ावा देकर उपहार की वस्तुओं को खपाने का जरिया बताते हैं, ताकि कंपनियां मोटी कमाई कर सकें।

LIVE TV