बारामूला हमले में शहीद नितिन का पैतृक गांव में हुआ अंतिम संस्कार

लखनऊ। जम्मू कश्मीर के बारामूला में रविवार रात हुए आतंकी हमले में शहीद नितिन का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव में किया गया। इटावा के रहने वाले नितिन बारामुला हमले के दौरान घायल हुए थे। जिसके बाद अस्पताल ले जाते वक्त उन्होंने दम तोड़ दिया था।

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आतंकियों का मुकाबला करते हुए शहीद हुए नितिन के घर में मातम का माहौल है। अपने सबसे छोटे बेटे के न रहने की खबर ने पिता को बेसुध कर दिया है और परिवार के हर शख्स का इससे रो रोकर बुरा हाल है।

उनके पिता और परिवार को अपने बेटे की शहादत पर गर्व है लेकिन फिर भी एक बाप होने के नाते अपने बेटे की शहादत पर आंसू नही रोक पाए। पूरा देश नितिन की बहादुरी की बातें कर रहा है।

नितिन का पार्थिव शरीर जब गांव में लाया गया तो चारों तरफ मातम पसरा था। भारत माता की जय के नारों के बीच सभी की आंखें नम थीं।

लेकिन देश उनकी बहादुरी को कैसे भूल सकता है जिन्होंने आतंकियों को कैंप में अंदर घुसने नही दिया। आतंकी जब बारामुला में 46 राष्ट्रीय राइफल के कैंप में घुसने की कोशिश कर रहे थे तब नितिन और उनके साथ वरुन ने मोर्चा संभाला। इन दोनों जवानों ने बंकर से बाहर निकलकर आतंकियों पर फायरिंग शुरू कर दिया।

आतंकियों के कैंप में घुसने के मंसूबे को देखकर वरून और नितिन दनादन गोलियों की बौछार करने लगे। आतंकी जब कैंप में दाखिल होने में कामयाब नही हो सके तब उन्होंने ग्रेनेड से हमला कर दिया।

इस हमले में नितिन और वरून दोनों घायल हो गए लेकिन गोलियां चलाते रहे। इस अदम्य साहस और बहादुरी के वजह से आतंकी कैंप में दाखिल नही हो पाए।

नितिन बुरी तरह जख्मी हो गए थे। उनके शरीर से रक्त बहुत ज्यादा बह चुका था। हॉस्पिटल ले जाते वक्त उन्होंने दम तोड़ दिया। देश की रक्षा करते हुए एक और वीर सपूत देश के लिए कुर्बानी लेकर देशवासियों को महफूज कर गया।

पूरे राजकीय सम्मान के साथ सुबह तकरीबन 9 बजे नितिन के शव का अंतिम संस्कार किया गया। कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव शहीद नितिन को श्रृद्धांजलि देने पहुंचे। शहीद के मां-बाप की पीड़ा देख उन्हें सांत्वना दी।

शिवपाल ने तकरीबन 20 लाख रुपए शहीद के परिवार की बतौर आर्थिक मदद देने का वायदा किया। गांव की सड़क का नाम ‘शहीद नितिन मार्ग’ रखने की बात कही। वहीं कांग्रेस नेता शीला दीक्षित भी शहीद के परिजनों का  दुखदर्द बांटने के लिए उनसे मिलने पहुंची। हालांकि वह शहीद के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाई।

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