चिकित्सा अनुसंधान में जुकरबर्ग ने दिखाई दरियादिली, 3 अरब डालर का किया अनुदान

जुकरबर्ग नई दिल्ली। फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और उनकी पत्नी प्रिसिला चान ने अगले एक दशक में चिकित्सा अनुसंधान निधि के लिए तीन अरब डॉलर देने का वादा किया है।

सैन फ्रांसिस्को में संवाददाता सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि उनका अंतिम लक्ष्य सदी के अंत तक रोगों का रोकथाम और उचित प्रबंध करना है। यह फंड चान जुकरबर्ग उपक्रम के तहत वितरित किया जाएगा, जिसे उन्होंने दिसंबर 2015 में बनाया था।

कई तकनीकी कंपनियां स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने के लिए आगे आई हैं।

इससे पहले सप्ताह में माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने सूचना देने वाली कृत्रिम उपकरण की मदद से कैंसर की बीमारी का हल निकालने के संबंध में काम करने के लिए कहा था।

गूगल का डीपमाइंड इकाई कंप्यूटर के जरिए अधिक से अधिक रोगों के निदान का उपाय खोजने के लिए नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के साथ काम कर रहा है।

आईबीएम और मैसाच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने इस सप्ताह आर्टिफिशियल इंटेलीजेन्स सिस्टम आधारित तकनीक का विकास करने के लिए हाथ मिलाया है, जिससे बुजुर्ग और विकलांग रोगियों की हालत में सुधार लाने और देखभाल में मदद मिल सकती है।

जुकरबर्ग ने कहा कि वर्तमान में 50 गुना अधिक पैसा बीमारों और बीमारियों के रोकथाम पर खर्च किया जा रहा है।

उन्होंने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को साथ लाने, अग्रिम अनुसंधान के लिए उपकरण और तकनीक को विकसित करने और दुनिया भर में विज्ञान कोष के लिए जागरूकता लाने संबंधी तीन सिद्धातों का उल्लेख किया, जिसमें यह दंपति निवेश करेगा।

वहीँ , चान ने बताया कि वह पहले ही नए शोध केंद्र बायोहब के साथ कंप्यूटर वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, जीव वैज्ञानिकों, को साथ लाने, दवा विक्रेताओं और अन्य अविष्कारकों को साथ लाने के लिए 60 करोड़ डॉलर देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

 शुरू में दो परियोजनाओं पर करेगी काम।

पहली परियोजना के अंतर्गत सेल एटलस नक्शा में विभिन्न कोशिकाओं का वर्णन होगा जो शरीर के प्रमुख अंगों को नियंत्रित करती हैं।

दूसरी परियोजना एक प्रकार से संक्रामक रोग संबंधी पहल होगी। जो एचआईवी, इबोला, जीका और अन्य नई बीमारियों से निपटने के लिए नए परीक्षणों और टीकों का विकास करेगी।

जुकरबर्ग के मुताबिक, सन् 2100 तक इंसान की औसत आयु 100 साल से परे होगी, लेकिन उन्होंने आगाह किया कि ऐसा होने में कई साल लग सकते हैं, क्योंकि जमीनी स्तर पर नई चिकित्सा उपचार पर काम करने और मरीजों को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने संबधी चीजों को लागू करने में वक्त लग सकता है।

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