3 डिग्री सेल्सियस तक गिरेगा पारा, उत्तर भारत में पड़ सकती है कड़ाके की ठंड
इस बार ला-नीना (La-nina) प्रभाव के कारण उत्तर-पूर्व एशिया में कड़ाके की ठंड पड़ने की पूरी संभावना है और इससे क्षेत्र में ऊर्जा संकट बढ़ने की भी पूरी आशंका है। भारत में जनवरी और फरवरी में कुछ उत्तरी इलाकों में तापमान 3 डिग्री सेल्सियस के नीचे जा सकता है। इस मौसमी स्थिति के लिए ला-नीना(La-nina) को जिम्मेदार बताया जा रहा है। प्रशांत क्षेत्र में ला-नीना उभरता दिख रहा है। La-nina का अर्थ है कि उत्तरी गोलार्द्ध में तापमान का सामान्य से कम रहना। इस परिस्थिति ने क्षेत्रीय मौसम एजेंसियों को कड़ाके की ठंड़ी के बारे में चेतावनी जारी करने के लिए प्रेरित किया है।
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बढ़ सकती हैं कोयले और गैस की रकम–
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, कई देश जैसे चीन ईंधन की ऊंची कीमतों और बिजली के संकट से जूझ रहा हैं। कोयले और गैस की रकम पहले से उच्चतम स्तर पर हैं। ऐसे में कड़ाके की ठंड से इन चीजों की मांग और भी ज्यादा बढ़ेगी। मौसम गतिविधियों के उपाध्यक्ष रेनी वांडेवेगे ने कहा कि इस बार उम्मीद हैं कि पूरे उत्तरपूर्व एशिया में सर्दी में तापमान सामान्य से कम रहेगा।
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भारतीय मौसम विभाग ने भी चेतावनी-
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार इस साल भारत में सामान्य से ज्यादा मौसमी बारिश और कड़ाके की सर्दी पड़ सकती है। विभाग ने कहा कि अगस्त और सितंबर में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की पूरी आशंका है और तभी ला नीना की स्थिति बन सकती है।
पिछले साल ला नीना(La-nina) की स्थिति अगस्त-सितंबर 2020 से अप्रैल 2021 तक बनी थी और सामान्य से ज्यादा बारिश हुई थी साथ ही साथ बहुत ज्यादा सर्दी भी पड़ी थी। मौसम विभाग के मुताबिक ला नीना की स्थिति इस साल सितंबर से नवंबर के बीच में रहेगी, जिस कारण इस साल की सर्दियों के दौरान कंपा देने वाली ठंड पड़ेगी।