25 जून को मनाई जाएगी कालाष्टमी, जानें भगवान भैरव की पूजा का महत्व और पूजा विधि

प्रत्येक माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी को कालाष्टमी की तिथि पर भगवान भैरव की विशेष रूप से साधना आराधना की जाती है। तंत्र-मंत्र के साधकों के अनुसार भगवान भैरव को परम शक्तिशाली रुद्र बताया गया है। इन्हें देवाधिदेव भगवान शिव का अवतार माना गया है।

25 जून को मनाई जाएगी कालाष्टमी, जानें भगवान भैरव की पूजा का महत्व और पूजा विधि

भगवान भैरव की पूजा का महत्व 

भगवान भैरव की विशेष पूजा वाली पावन तिथि कालष्टमी इस माह 25 जून को पड़ रही है। भगवान भैरव एक ऐसे देवता हैं, जिनकी साधना करने वाले भक्त पर किसी भी प्रकार की उपरी बाधा, भूत-प्रेत, जादू-टोने आदि का खतरा नहीं रहता है।

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भगवान काल भैरव की पूजा विधि

कालष्टमी के दिन भगवान भैरव के साथ मां दुर्गा की पूजा अवश्य करना चाहिए। विदित हो कि देश के तमाम शक्तिपीठ और सिद्धपीठ में देवी दर्शन के बाद भगवान भैरव के दर्शन किए जाते हैं। जो शिव एवं शक्ति का साधक भगवान भैरव की प्रतिदिन साधना-आराधना करता है, उसके लाखों जन्मों में किए हुए पाप नष्ट हो जाते हैं। शास्त्रों में काल भैरव का वाहन कुत्ता बताया गया है। काल भैरव को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है कि काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाएं। इस उपाय से कालभैरव के साथ ही साथ शनि देव भी खुश हो जाएंगे।
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कालाष्टमी का महाउपाय

यदि आपके घर के पास कोई काल भैरव का मंदिर नहीं है तो आप कालाष्टमी के दिन भगवान शिव की पूजा कर उनका आशीर्वाद पा सकत हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान भैरव की उत्पत्ति भगवान शिव के अंश के रूप में हुई थी।

कालाष्टमी के दिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ‘ॐ नम: शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इस विधि से पूजन करने पर भगवान भैरव प्रसन्न होंगे और आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

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