24 घंटे हैं पुलिस की सोशल मीडिया पर नजर , एक गलती पड़ सकती हैं आपको भारी , पढ़े खबर…

साल 2019 दिनांक 9 नंबर समय सुबह 10:30 सदियों से चला आ रहा अयोध्या राम मंदिर मुद्दा जिसका सुप्रीम कोर्ट ने निर्धारित निर्णय ले लिया है। बतादें की सुप्रीम कोर्ट ने ये ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए ऐलान किया हैं की राम मंदिर वहीं बनेगा साथ ही 5 एकड़ की जमीन मुस्लिम पक्ष को अलग दी गयी है। वहीं देखा जाए तो सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने एक नई मिसाल कायम की हैं। जहां सभी नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का सम्मान किया हैं।

 

 

 

 

खबरों की माने तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मामले पर फैसला देने के बाद सोशल मीडिया पर पुलिस पलपल नजर रख रही है। कई एजेंसियों को सोशल मीडिया पर जिम्मा सौंपा गया है देश में शांति का माहौल बना रहे।

 

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सोशल मीडिया पर नजर रख रही एजिसियां सेंटिमेंट एनालिसीस प्रोग्राम का इस्तेमाल कर रही हैं। इस टेक्नोलॉजी के जरिए तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की मॉनिटरिंग की जा रही है।

सेंटिमेंट एनालिसीस प्रोग्राम के जरिए पुलिस सोशल मीडिया फिल्टर का इस्तेमाल कर रही है। ऐसे में फिल्टर किए गए कीवर्ज के साथ कोई भी आपत्तिजनक पोस्ट होने पर पुलिस को तुरंत पता चल जा रहा है। इस प्रोग्राम को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि यह इस बात की भी जानकारी दे सकता है कि लोग किसी पोस्ट पर किस विषय पर बात कर रहे हैं। उदाहरण के लिए यदि कोई सोशल मीडिया पर सिर्फ अयोध्या शब्द लिखता है तो पुलिस के पास अलर्ट मिल जाता है।
अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद से रविवार शाम तक सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट करने और पटाखे फोड़कर जश्न मनाने के आरोप में करीब 90 लोगों को गिरफ्तार किया गया। अकेले उत्तर प्रदेश में ही करीब 77 लोगों को हिरासत में लिया गया है। उधर, मध्यप्रदेश में भी 10 लोगों को हिरासत में लेने के साथ ही एक जेल वार्डन को निलंबित कर दिया गया है।
दरअसल यदि डाटा टेक्स्ट में है तो उसे एकत्र करना और उसका विश्लेषण करना आसान हो जाता है। लेकिन चुनौतियां तब बढ़ जाती हैं जब तस्वीरें, ऑडियो या वीडियो का इस्तेमाल किया जाता है। अध्ययन के लिए उन्हें परिवर्तित करने की आवश्यकता होती है।
जहां इसके बाद पुलिस यूजर की पहचान स्थापित करने की कोशिश करती है। वहीं बॉट अकाउंट्स के मामले में पुलिस के लिए यह एक कठिन कार्य हो जाता है, क्योंकि बॉट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित होते हैं जो अपने आप काम करते हैं। इन्हें एक कोड के जरिए तैयार किया जाता है।
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