2जी मामला : दिल्ली उच्च न्यायालय ने एस्सार-लूप के संरक्षकों को भेजा नोटिस

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर एस्सार-लूप के संरक्षकों को शुक्रवार को नोटिस भेजा।

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टूजी स्पेक्ट्रम

न्यायमूर्ति एस.पी. गर्ग ने एस्सार के प्रमोटर अंशुमान रुइया और रवि रुइया, एस्सार समूह के निदेशक विकास सर्राफ, लूप टेलीकॉम की प्रमोटर किरण खेतान और उनके पति आई.पी. खेतान व तीन कंपनियों को नोटिस भेजा और मामले की सुनवाई के लिए 25 मई की तारीख मुकर्रर की।

सीबीआई ने अदालत को बताया कि निचली अदालत इस मामले में उन साक्ष्यों को समझने में विफल रही, जिनके आधार पर यह साबित होता है कि आरोपियों ने स्पेक्ट्रम लाइसेंस प्राप्त करने में साजिश रचकर दूरसंचार विभाग को धोखा दिया।

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एजेंसी ने यह भी बताया कि टूजी मामले की विशेष रूप से सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश उचित परिप्रेक्ष्य में कानून का मूल्यांकन करने में विफल रहे।

याचिका में सीबीआई ने कहा, “साक्ष्य से स्पष्ट होता है कि आरोपियों ने अपराध किया है।”

एजेंसी ने कहा, “अभ्यावेदन की असत्यता से एस्सार समूह के निदेशक विकास सराफ ही नहीं, बल्कि सभी आरोपी जानते थे और गलत इरादे से जानबूझकर आवेदक कंपनी (लूप टेलीकॉम लिमिटेड) के सही स्वामित्व व नियंत्रण की बात गुप्त रखते हुए दूरसंचार विभाग को धोखे में रखकर लेटर्स ऑफ इंटेट जारी करवाया गया और लाइंसेस लेकर कंपनी को स्पेक्ट्रम आवंटित करवाया गया।”

विशेष न्यायाधीश ने 21 दिसंबर, 2017 को एस्सार के प्रमोटर अंशुमान रुइया, रवि रुइया, एस्सार समूह के निदेशक विकास सर्राफ, लूप टेलीकॉम की प्रमोटर किरण खेतान और उनके पति आई.पी. खेतान को बरी कर दिया था। अदालत ने तीन कंपनियों -लूप टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड, लूप मोबाइल इंडिया लिमिटेड और एस्सार टेली होल्डिंग को भी दोषमुक्त कर दिया था।

सीबीआई ने मामले में 12 दिसंबर, 2011 को अपना तीसरा आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें एस्सार व लूप के प्रमोटरों के अलावा सर्राफ और तीनों कंपनियों को नामजद किया था।

जांच एजेंसी का कहना था कि आरोपियों ने यूनाइटेड एक्सेस सर्विस लाइसेंस के दिशानिर्देशों के अनुबंध-8 का उल्लंघन करते हुए 2008 में लूप टेलीकॉम को आगे रखकर 2जी का लाइसेंस लेने में दूरसंचार विभाग को धोखा दिया था।

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