18 भाषाओं में गाने जा चुके मशहूर फनकार ने छिपाया था अपनी पहली शादी का सच

मुंबई.मशहूर फनकार मोहम्मद रफी 24 दिसंबर को जन्मदिन हुआ था। इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं उनकी पहली शादी के बारे में, जो दुनिया से छिपी थी। इस शादी के बारे में बस उनके घरवाले जानते थे। यह बात शायद कभी किसी को पता भी नहीं चलती अगर रफी की बहू यास्मीन खालिद रफी की किताब बाजार में ना लातीं। यास्मीन की प्रकाशित किताब ‘मोहम्मद रफी मेरे अब्बा..एक संस्मरण’ में उनकी पहली शादी की बात का जिक्र किया गया है।

Md-Rafi

13 साल की उम्र में रफी की पहली शादी उनके चाचा की बेटी बशीरन बेगम से हुई थी लेकिन कुछ साल बाद ही उनका तलाक हो गया था। इस शादी से उनका एक बेटा सईद हुआ था। उनकी इस शादी के बारे में घर में सभी को मालूम था लेकिन बाहरी लोगों से इसे छिपा कर रखा गया था। घर में इस बात का जिक्र करना भी मना था क्योंकि रफी की दूसरी बीवी बिलकिस बेगम इसे बिल्कुल नापसंद करती थीं और उन्हें बर्दाश्त नहीं था कि कोई इस बारे में बात करे।

1944 में 20 साल की उम्र में रफी की दूसरी शादी सिराजुद्दीन अहमद बारी और तालिमुन्निसा की बेटी बिलकिस के साथ हुई। जिनसे उनके तीन बेटे खालिद, हामिद और शाहिद तथा तीन बेटियां परवीन अहमद, नसरीन अहमद और यास्मीन अहमद हुईं। रफी साहब के तीनों बेटों सईद, खालिद और हामिद की मौत हो चुकी है। आजादी के समय विभाजन के दौरान रफी ने भारत में रहना पसन्द किया। 31 जुलाई 1980 को उनका निधन हो गया।

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पंजाब के कोटला सुल्तान सिंह गांव में  24 दिसंबर 1924 को हाजी अली मोहम्मद के परिवार में मोहम्मद रफी का जन्म हुआ था। हाजी अली मोहम्मद के छह बच्चों में से रफी दूसरे नंबर पर थे। उन्हें घर में फीको कहा जाता था। गली में फकीर को गाते सुनकर रफी ने गाना शुरू किया था। 1935 में रफी के पिता लाहौर चले गए और वहां भट्टी गेट के नूर मोहल्ला में हजामत बनाने का काम शुरू किया।

मोहम्मद रफी ने अपनी जिंदगी में करीब 26 हजार गीत गाये और लगभग हर भाषा में। वर्ष 1946 में फिल्म ‘अनमोल घड़ी’ में ‘तेरा खिलौना टूटा’ से हिन्दी सिनेमा की दुनिया में कदम रखा। उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। रफी बहुत ही शर्मीले स्वभाव के थे। न किसी से ज्यादा बातचीत और न ही किसी से कोई लेना-देना। न शराब का शौक न सिगरेट का। न पार्टियों में जाने का शौक, न ही देर रात घर से बाहर रहने की फितरत।

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