हौसला : घर से 1100 किलोमीटर दूर जाकर दिनेश संवार रहे हैं बच्चों का भविष्य…

रिपोर्ट – प्रदीप मेहरा

उत्तराखंड : शिक्षा विभाग में अति दुर्गम,दुर्गम,सुगम को लेकर शिक्षा के द्वारा विभिन्न मानक तो तय किये गये है। लेकिन मानकों का पालन होता कम होता दिखाई देता है।

हर शिक्षक अपने को सुगम और घर के पास में अपनी तैनाती चाहता है लेकिन प्रदेश के सबसे दूरस्थ क्षेत्र उत्तरकाशी के विकास खंड नौगांव के ग्राम कोटी निवासी दिनेश रावत प्रदेश के दूसरे छोर में नेपाल और चीन की सीमा पर स्थित धारचूला विकास खंड के अतिदुर्गम विद्यालय राजकीय प्राथमिक विद्यालय मेतली है। जो दिनेश के घर से 11 सौ किलोमीटर दूर हैै।घर से विद्यालय पहुंचने में दिनेश को तीन दिन का समय लगता है।

ऐसे ही एक शिक्षक हैं दिनेश सिंह रावत। जनपद पिथौरागढ़ के नेपाल सीमा से सटे धारचूला विकास खंड के रा।प्रा।वि।-मेतली में बतौर शिक्षक कार्यरत् हैं।

सड़क, स्वास्थ्य, परिवहन जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित अतिदुर्गम के इस विद्यालय तक पहुँचने के लिए 10किमी। की खड़ी पगडंडी नापनी होती है किन्तु विद्यालय में पहुँचने पर एक पल में ही रास्ते भर की सारी थकान दूर हो जाती है। विद्यालय का वाह्य परिवेश, साज-सज्जा, छात्र गणवेश, स्वच्छता तथा कक्षा कक्ष की दीवारों पर उकेरी गयी बालोपयोगी चित्रकारी विद्यालय में तैनात शिक्षक दिनेश रावत के समर्पण व प्रतिभा को अनायास ही बयां कर देती है।

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विद्यालय में सीखने-सिखाने के लिए इस प्रकार का माहौल तैयार किया गया है कि यहाँ दीवारें भी बोलती हुई दिखायी देती हैं, कक्षा शिक्षण को रूचिकर बनाने के लिए पाठ्यक्रम में शामिल पाठों का नाट्य रूपान्तरण करते हुए बाल अभिनय, कक्षा कक्ष में पुतली कला, लघु परियोजनाकार्य, शैक्षिक भ्रमण, लेखन कार्यशाला, कवि सम्मेलनों के आयोजन के ही सुखद प्रतिफल है कि बच्चे पाठ्यपुस्तकों के इतर जाकर भी ज्ञानार्जित करके अपनी अवधारणाओं को पुष्ट कर रहे हैं।

परिणति स्वरुप विद्यालय में अध्ययनरत् बच्चों की मौलिक रचनाएं न केवल विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रही है, बल्कि शिक्षक दिनेश सिंह रावत द्वारा विद्यालय से ‘राहें हमारी’ वार्षिक पत्रिका का प्रकाशन करके भी बच्चों की मौलिक सृजन क्षमता व रचनात्मता को एक उचित मंच सुलभ करवाते हुए प्रोत्साहित किया जा रहा है।जिसका पहला अंक भी उनके द्वारा स्वयं के खर्चे पर निकाला गया।

शिक्षक दिनेश रावत को कई बार विद्यालय में अध्ययनरत् बच्चों के बाल, नाखून तक स्वयं काटते देखा गया है, जो बच्चों के प्रति एक शिक्षक के रूप में उनके अनुराग का बेहतर उदाहरण है।

विभाग द्वारा संचालित सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन की मूल संकल्पना के अनुरूप प्रत्येक छात्र के व्यवहारिक, संज्ञानात्मक एवं संवेगात्मक पक्ष का अवलोकन करते हुए वर्ष के अंत में उत्सव का आयोजन कर प्रत्येक छात्र को उसकी प्रतिभा से परिचित करवाते हुए सम्मानित करते हुए न केवल सम्बंधित छात्र के मनोबल को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है, बल्कि अन्य छात्रों को भी प्रेरित किया जाता है।

दिनेश रावत को शासकीय अवकाश हो या रविवारीय हर दिन विद्यालय में कुछ न कुछ नया करते हुए देखा जा सकता है, उल्लेखनीय यह है कि विद्यालय की दीवारों, कक्षा-कक्षों में जो भी कार्य हुआ है वह दिनेश रावत के द्वारा स्वयं ही किया गया है।

इस सम्बंध में दिनेश रावत से बात की गयी तो उनका कहना था कि दुर्गम में बहुत सी विषमताएं विद्यमान हैं किन्तु मैं विषमताओं को आधार बनाकर ही विद्यालय के लिए अपनी कार्य योजना तय करके कार्य करता हूँ और परिणाम सार्थक ही रहते हैं।

भारत सरकार द्वारा युवाओं के लिए स्थापित सबसे बड़े सम्मान ‘राष्ट्रीय युवा पुरस्कार’ से भी महामहिम उपराष्ट्रपति द्वारा वर्ष 2009 में नवाजा जा चुका है।

 

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