हिंसा मामले में 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया केंद्रीय मंत्री का बेटा

पटना : केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत ने भागलपुर हिंसा मामले में देर रात सरेंडर किया, जिसके बाद उन्हें रविवार (1 अप्रैल) को भागलपुर के स्थानीय कोर्ट में पेश किया गया था।

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कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 14 दिनों के न्यायिक हिरासत में उन्हें भेज दिया। भागलपुर में बीजेपी कार्यकर्ताओं और अर्जित समर्थकों ने नारेबाजी की. इससे पहले अर्जित ने पटना जंक्शन पर स्थित हनुमान मंदिर पहुंचकर सरेंडर किया था।

इन पर 17 मार्च को बिहार के भागलपुर में एक जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़काने का आरोप है। अर्जित ने शनिवार देर रात करीब 12.15 बजे पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर के पास बड़े ही नाटकीय अंदाज में सरेंडर किया।

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जानकारों के अनुसार शाश्वत ने जमानत रद्द होने के बाद पुलिस के सामने सरेंडर करने का निर्णय लिया। जबकि इससे पहले अर्जित फरार चल रहे थे। वहीँ अग्रिम जमानत याचिका पर शनिवार को भागलपुर कोर्ट में सुनवाई हुई। एडीजे चतुर्थ कुमुद रंजन सिंह की अदालत ने अर्जित शाश्वत की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था। जिसके बाद उन्होंने अपनी गिरफ्तारी दे दी।

 अर्जित शाश्वत ने कहा कि उनके खिलाफ गलत केस हुआ है। वो भगोड़ा नहीं हैं। उन्होंने कहा, ”मैंने जमानत याचिका खारिज होने के बाद सरेंडर किया है।” केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत ने एक सवाल के जवाब में कहा, ”पिता का काम होता है कि सही काम में बच्चे का साथ देना। वो मुझे क्यों नही बचाएंगे? अगर मैं गलत होता, तो मेरे पिता कभी सामने नहीं आते।”

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उधर, अश्विनी चौबे बेटे का बचाव करते हुए बिहार पुलिस पर ही सवाल उठाया था। उन्होंने कहा कि उनके बेटे के खिलाफ दर्ज एफआईआर को कूड़े में फेंक देना चाहिए।

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