हाथरस : आखिर क्या है वह राज जिसको दफन करवाने के लिए करवाई जा रही इतनी फजीहत

यूपी के हाथरस जनपद से सामने आई घटना मानवता को शर्मसार कर दिया है। वहीं अब वहां जो सलूक प्रशासन की ओर से किया जा रहा है वह लगातार अधिकारियों की कार्यप्रणाली और सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा है। गांव की आवाम और मीडिया के साथ हो रहे सलूक के बाद एक सवाल जो सभी के जहन में है वह यह है कि आखिर हाथरस की गुड़िया की मौत के बाद वह क्या है जिसे छुपाने के लिए यह पूरी सरकारी मशीनरी काम कर रही है। हाथरस में मीडिया और विपक्ष के नेताओं को रोकने के लिए सरकार जिस तरह से पूरे प्रशासनिक अमले को लगाए हुए वह कहीं न कहीं उस तानाशाही रवैये को दर्शाता है जिसमें लोकतंत्र या चौथे स्तंभ का कोई अस्तित्व ही नहीं है।

हाथरस में गांव के बाहर खड़ी टीमें, तैनात सिपाही और मुस्तैद अधिकारियों को देख सभी यह सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर इस चक्रव्यू के पीछे क्या है जो सामने नहीं आने दिया जा रहा। पीड़ित परिवार के सदस्यों का फोन छीना जाना, जिले में धारा 144 लगाना, गांव की नाकेबंदी कर उसे छावनी में तब्दील करना और पीड़िता की मौत के बाद उसके शव को रात में जलवा देना यह वह कुछ घटनाएं हैं जो खुद सरकार और प्रशासन को मामले में आरोपी बना खड़ा कर रही है।

आपको बता दें कि हाथरस के चंदपा इलाके के गांव में 14 सितंबर को 4 लोगों ने 19 साल की युवती के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया था। आरोपितों ने पीड़िता की रीढ़ की हड्डी तोड़ उसकी जीभ काट दी थी। वहीं पीड़िता की इलाज के दौरान मौत हो गयी थी। जबिक मामले को लेकर पुलिस की ओर से दावा किया जा रहा है कि पीड़िता के साथ दुष्कर्म नहीं हुआ। वहीं मामले ने तूल उस दौरान पकड़ा जब पीड़िता की मौत हो जाने के बाद पुलिस ने देर रात उसके गांव पहुंच शव का जबरन अंतिम संस्कार करवा दिया। वहीं परिजन लगातार बेटी के शव के अंतिम दर्शन की गुहार लगाते रहे लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी। मामले के तूल पकड़ने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी हाथरस जाने की ठानी। हालांकि पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए पूरी जोर आजमाइश लगा दी और आखिरकार उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

मामले में इंतेहा उस दौरान हो गयी जब तृणमूल (टीएमसी) के नेताओं ने गैंगरेप पीड़ित के गांव में जाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने गांव के बाहर ही रोक दिया। यही नहीं टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ब्रायन को धक्के मारकर जमीन पर गिरा दिया। ब्रायन के साथ ही तृणमूल की 2 महिला सांसद और एक पूर्व सांसद भी इस दौरान वहां मौजूद थे। लेकिन आरोप है कि उन पर लाठीचार्ज किया गया।

इन तमाम घटनाक्रमों के बाद 2 अक्टूबर को जब हाथरस में मीडिया के तमाम लोगों से अभद्रता शुरु हुई तो कई और सवाल निकलकर भी सामने आए। इस तरह से सभी को रोके जाने के बाद साफतौर पर सभी इस खोज में लग गये की आखिर वह कौन से राज हैं जिन्हें शासन, प्रशासन और पुलिस हाथरस की सीमा के भीतर ही दफन करना चाह रही है।

पीड़िता के भाई ने सामने आकर कहा- एसडीएम ने ताऊ को लात मारी

पीड़िता के भाई ने सामने आकर कहा कि हम लोग मीडिया से मिलना चाहते हैं लेकिन हमें मिलने नहीं दिया जा रहा। वहीं उसने आरोप लगाया कि प्रशासन परिजनों को धमका रहा है और उसने यह भी बताया कि ताऊ को एसडीएम ने लात मारी।

मामले में एडीएम की हरकतें खड़े कर रही सवाल

इस पूरे घटनाक्रम में एसडीएम का रवैया लगातार कई सवाल खड़े कर रहा है। सांसद से बदतमीजी के आरोपों के बाद एक निजी चैनल की पत्रकार ने भी एसडीएम पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि एसडीएम ने ऑफ कैमरा उनको धमकाने का प्रयास किया और उन्हें काम करने से रोका।

यही नहीं मामले में एक अन्य निजी चैनल की महिला संवाददाता को पुलिस ने गाड़ी में बैठकर गांव के बाहर भिजवा दिया।

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