हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार, उत्तराखंड  पंचायत चुनाव का है पूरा मामला

पंचायत चुनाव के लिए अयोग्य घोषित करने के लिए कुछ पैमाने तय किए गए थे। इस संबंध में 25 जुलाई को कट ऑफ लिस्ट जारी की गई थी। जिनके भी दो से अधिक बच्चे होंगे उनको पंचायत चुनाव के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा। सरकार इस मामले में राहत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। न्याय विभाग से बात कर सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट

बृहस्पतिवार को कट ऑफ डेट का फैसला आने के बाद पंचायत चुनाव का मामला तेजी से गरमा गया। इससे पंचायत चुनाव लड़ने के इच्छुक दो से अधिक संतान वाले हजारों लोगों को चुनाव में भाग लेने का मौका मिलने की उम्मीद बन गई। ऐसे कई लोगों की ओर से शुक्रवार को नामांकन कराने की तैयारी भी शुरू कर दी गई। वहीं, शाम तक तस्वीर का रुख कुछ हद तक तब बदल गया जब पंचायत मंत्री अरविंद पांडे ने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह दी।

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मंत्री का तर्क था कि यह कानून बहुत सोच समझकर जनसंख्या नियंत्रण को ध्यान में रखते हुए लाया गया है। उधर, शासन भी इस मामले को लेकर चुप्पी साधे रहा। वहीं, राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से कोई नया दिशा निर्देश जारी नहीं किया गया। आयोग के सूत्रों के मुताबिक दिशा निर्देश जारी न होने के कारण जिला निर्वाचन अधिकारियों की ओर से पुरानी व्यवस्था के आधार पर ही नामांकन स्वीकार किए जाएंगे। इतना जरूर है कि नामांकन पत्र शुक्रवार को खरीदे जा सकते हैं और दो से अधिक संतान के नियम से प्रभावित न होने वाले नामांकन करा ही सकते हैं। उधर, जन पंचायत संगठन ने हाईकोर्ट के फैसले को अपनी जीत बताया और सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।

हाईकोर्ट के फैसले के बाद बृहस्पतिवार को शाम होते-होते यह भी स्पष्ट हो गया कि पंचायत चुनावों को लेकर कुहासा छंटने की बजाय गहरा गया है। कोर्ट के फैसले के अनुरूप राज्य निर्वाचन आयोग ने देर शाम तक कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किए, जबकि शुक्रवार से प्रथम चरण के नामांकन शुरू हैं। उधर, शासन ने भी अपनी तरफ से राज्य निर्वाचन आयोग से बात करने की पहल नहीं की। ऐसे में शुक्रवार को नामांकन कराने के लिए तैयार बैठे कई दावेदार यह भी तय नहीं कर पाएंगे कि वे नामांकन कराएं भी या नहीं। वहीं, दो से अधिक संतान वालों के सामने नामांकन कराने के बाद उसके निरस्त होने का खतरा रहेगा।

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राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों के मुताबिक देर शाम तक आयोग को विधिवत न तो हाईकोर्ट के फैसले की जानकारी मिली थी और न ही शासन से कोई बात हुई। ऐसे में आयोग की ओर से नामांकन को लेकर कोई अतिरिक्त दिशा निर्देश भी जारी नहीं किए गए। आयोग की ओर से दिशा निर्देश जारी न होने पर शुक्रवार को सभी जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारी पूर्व में जारी गाइडलाइन के आधार पर नामांकन स्वीकार करेंगे। ऐसे में दो से अधिक संतान वाले हजारों इच्छुकों के सामने संशय की स्थिति रहेगी। आयोग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी के मुताबिक तरीका यही है कि सरकार आयोग को बताए कि यह संशोधन हुआ है ।

उसके बाद आयोग संशोधन के आधार पर जिला निर्वाचन अधिकारियों को दिशा निर्देश जारी करे। उधर, शासन भी इस मामले को लेकर दिन भर चुप्पी साधे बैठा रहा। देर शाम पंचायत सचिव रंजीत सिन्हा ने बताया कि आयोग से विचार विमर्श कर फैसला लिया जाएगा। शुक्रवार सुबह इस पर आयोग से बात होगी।  शासन, राज्य निर्वाचन आयोग के स्तर से चुप्पी और सरकार के स्तर पर सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने का मन बनाने से साफ है कि पंचायत चुनाव को लेकर मामला अब और उलझ सकता है। वहीं, पंचायत चुनाव को लेकर हाईकोर्ट में एक और याचिका के दाखिल होने की जानकारी भी देर शाम सामने आई।

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