हरियाली तीज : शिव पार्वती से सुखद व सफल दांपत्य जीवन की कामना का पर्व

हरियाली तीजतीज, एक दिवसीय हिन्दू त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। हरियाली तीज आम तौर पर जुलाई या अगस्त के महीने में मनाया जाता है। हालांकि, इस वर्ष 2016 में हरियाली तीज की पूजा 5 अगस्त शुक्रवार को मनाई जा रही है।

शिव और पार्वती के पुर्नमिलाप के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले हरियाली तीज के त्योहार के बारे में मान्यता है कि मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए। अंततः मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान ने पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

हरियाली तीज पर मिलता है अखंड सौभाग्‍य

तभी से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती हैं। हरियाली तीज श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है। यह त्यौहार नाग पंचमी के दो दिन पहले मनाया जाता है। यह महिलाओं के मुख्य त्यौहारों में से एक है। इस दिन शिव- पार्वती जी की पूजा और व्रत का विधान है।

शिव पुराण के अनुसार इसी दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इसे छोटी तीज या श्रवण तीज के नाम से भी जाना जाता है। इसमें पतिव्रता पत्नियां निर्जला व्रत रखती हैं। हाथों में नई चूड़ियां, मेहंदी और पैरों में अल्ता लगाती हैं और नए वस्त्र पहन कर मां पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।

उत्तर भारतीय राज्यों में तीज का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। खास तौर पर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार की महिलाओं में विशेष उत्साह देखने को मिलता है।

हरियाली तीज पूजा विधि

हरियाली तीज के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन स्त्रियों के मायके से श्रृंगार का सामान तथा मिठाइयां ससुराल में भेजी जाती है। हरियाली तीज के दिन महिलाएं प्रातः गृह कार्य व स्नान आदि के बाद सोलह श्रृंगार कर निर्जला व्रत रखती हैं। इसके बाद विभिन्न प्रकार की सामग्रियों द्वारा देवी पार्वती तथा भगवान शिव की पूजा होती है।

पूजा के अंत में तीज की कथा सुनी जाती है। कथा के समापन पर महिलाएं माता पार्वती से पति के लंबी उम्र की कामना करती है। इसके बाद घर में उत्सव मनाया जाता है तथा विभिन्न प्रकार के लोक नृत्य किए जाते है। इस दिन झूला -झूलने का भी रिवाज है।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

मान्यता है कि इस दिन विवाहित महिलाओं को अपने मायके से आए कपड़े पहनने चाहिए और साथ ही श्रृंगार में भी वहीं से आई वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। अच्छे वर की मनोकामना से इस दिन अविवाहित कन्याएं भी व्रत रखती हैं। कई जगह इस दिन भगवान शिव और पार्वती जी का जुलूस भी निकाला जाता है।

LIVE TV