सोशल मीडिया में तेजी से फ़ैल रही हैं फेक न्यूज़ , गूगल ने सख्त किए राजनीती विज्ञापन नीति…

आज के समय में लोग फेक न्यूज़ में बहुत जल्दी ही भरोसा कर लेते हैं। वहीं देखा जाए तो फेक न्यूज़ सबसे पहले सोशल मीडिया के जरिये ही आती हैं। वहीं अधिकतर लोग आज के समय में सोशल मीडिया में ज्यादातर एक्टिव रहते हैं। सतह ही सोशल मीडिया के जरिये फेक न्यूज़ बहुत तेजी से फैलती हैं।

 

 

खबरो की माने तो गूगल ने राजनीतिक विज्ञापनों के संबंध में अपनी नीति को सख्त बना दिया है। मतदाताओं को प्रभावित करने के उद्देश्य से भ्रामक जानकारी फैलाने से बचने के लिए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल हो रहा है, जिसके चलते इस तरह के प्लेटफॉर्म पहले से ही बहुत दबाव में हैं। दिग्गज इंटरनेट कंपनी ने कहा कि उसके नियमों ने पहले ही किसी भी विज्ञापनदाता को गलत जानकारी देने से प्रतिबंधित कर दिया है।

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जहां राजनीतिक संदेशों वाले विज्ञापन शामिल हैं। लेकिन अब वह अपनी नीति को और अधिक स्पष्ट कर रही है और ऐसे उदाहरणों को शामिल कर रही है कि छेड़छाड़ की गई तस्वीरों या वीडियो को किस प्रकार प्रतिबंधित किया जाए।

गूगल के विज्ञापन उत्पाद प्रबंधन के उपाध्यक्ष स्कॉट स्पेंसर ने एक ऑनलाइन पोस्ट में कहा कि ‘बेशक, हम पहचानते हैं कि मजबूत राजनीतिक संवाद लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और कोई भी समझदारी से हर राजनीतिक दावे, प्रतिशोध और अपमान को स्वीकार नहीं कर सकता है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि जिन राजनीतिक विज्ञापनों पर हम कार्रवाई करेंगे, उनकी संख्या बहुत सीमित होगी।

जहां एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा कि फेसबुक और गूगल के डाटा-कलेक्शन कारोबारी मॉडल दुनिया भर के मानवाधिकारों के लिए खतरा हैं। एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है इन कंपनियों को ‘निगरानी आधारित कारोबारी मॉडल’ को छोड़ने के लिए मजबूर करना चाहिए।

संगठन ने तर्क देते हुए कहा कि लोगों को मुफ्त ऑनलाइन सेवाओं की पेशकश करना और फिर उनकी जानकारी को पैसे बनाने वाले विज्ञापनों के लिए उपयोग करना उनकी राय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित अधिकारों को संकट में डालना है। एमनेस्टी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ‘सेवाओं के वास्तविक मूल्यों के बावजूद निगरानी करने वाले दिग्गज गूगल और फेसबुक प्लेटफार्म का एक पूरे तंत्र से जुड़ा खर्च है।’

दरअसल एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि ’उपभोक्ताओं के निजी डाटा को इकट्ठा कर इसका इस्तेमाल विज्ञापन व्यापार के लिए किया जा रहा है, उसके मुताबिक दोनों कंपनियां निजता के अधिकार पर अभूतपूर्व हमले कर रही हैं। लंदन के मानवाधिकार समूह के अनुसार दोनों ऑनलाइन दिग्गज कंपनियां लोगों पर दबाव डालकर फेसबुक और गूगल की सेवाओं के लिए डाटा साझा करने को मजबूर कर रही हैं। यह चिंता वाली बात है, क्योंकि दोनों कंपनियों ने प्राथमिक चैनलों पर कुल प्रभुत्व बना लिया है, जिसके माध्यम से लोग ऑनलाइन दुनिया से जुड़ते हैं और संवाद बिठाते हैं।’

एमनेस्टी ने विरोध करते हुए कहा कि यह कारोबारी मॉडल निजता के अधिकार के साथ स्वाभाविक रूप से असंगत है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों सिलिकॉन वैली फर्मों ने प्राथमिक चैनलों पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया है। इसके माध्यम से लोग ऑनलाइन दुनिया से आकर्षित होकर इससे जुड़ते हैं।

एमनेस्टी इंटरनेशल के महासचिव कुमी नायडू ने कहा कि ‘हमारे डिजिटल जीवन पर उनका छलपूर्ण नियंत्रण गोपनीयता का सार कम कर देता है, यह हमारे दौर के मानवाधिकार की कई चुनौतियों में से एक हैं।’ रिपोर्ट में सरकारों से आग्रह किया गया है कि वह ऐसी नीति बनाए जिससे लोगों की निजता की सुरक्षा हो, साथ ही उनकी पहुंच ऑनलाइन सेवा तक सुनिश्चित हो पाए।

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