सोशल मीडिया पर हर जगह फैला है ‘हनी ट्रैप’ का जाल, अफसर ऐसे होते हैं शिकार….

हनी ट्रैप मामलों से सबक लेकर अब भारतीय सेना ने अफसरों और जवानों पर सोशल वेबसाइट्स के यूज पर बैन लगा दिया है। फेसबुक या अन्य सोशल साइट्स एप अब सेना की किसी भी यूनिट और ऑफिस की फोटो, वर्दी में फोटो पोस्ट नहीं कर पाएंगे।

साथ ही जवान अब व्हाट्सएप जैसी तमाम सोशल साइट्स के किसी भी ग्रुप को ज्वॉइन नहीं कर सकेंगे।

सोशल मीडिया पर हर जगह फैला है 'हनी ट्रैप' का जाल

इतना ही नहीं, बल्कि हेलीकाप्टर, यूनिट और रक्षा से जुडे् फोटो भी ऑनलाइन पोस्ट नहीं करेंगे।

सूत्रों के मुताबिक ट्रैकर और हैकर किसी भी वेबसाइट के जरिए कोई भी सूचना आसानी से हासिल कर लेते हैं।

हनी ट्रैप भी एक खतरनाक जरिय है जिसके जरिए अफसरों को फंसाया जाता है। इसके लिए फर्जी फेसबुक आईडी बनाई जाती है।

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फिर उसमें लड़कियों की प्रोफाइल पिक लगाकर सेना के जवानों से गुप्त सूचनाएं हासिल करने की कोशिश की जाती है।

हनी ट्रैप रैकेट से बचने के लिए ही फेसबुक और व्हाट्सएप ग्रेप में बात करने पर बैन लगाया गया है।

हनी ट्रैप के शिकार एयरफोर्स अफसर रंजीत केके को दिसंबर 2015 में बठिंडा से गिरफ्तार किया गया।

उन पर आरोप था कि उन्होंने फेसबुक पर दामिनी मैकनॉट नाम की महिला के साथ एयर बेस की खुफिया जानकारी शेयर की।

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रंजीत को दामिनी अपने अपको एक जर्नलिस्ट बताती थी। लेकिन बाद में पता चला कि वह एक जासूस है।

सुखजिंदर इंडियन नेवी में कमोडोर रैंक पर रूस में पोस्टेड थे। वो विमान वाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव की मरम्मत के लिए भेजी गई भारतीय टीम के चीफ थे। सुखजिंदर पर आरोप लगा था कि उन्होंने 2005 से 2007 के बीच उनके एक रूसी महिला के साथ संबंध थे।

सुखजिंदर की उस महिला के साथ आपत्तिजनक तस्वीरें सामने आने के बाद उन पर इन्क्वायरी बैठाई गई थी। बाद में पता चला कि वह महिला एक रूसी जासूस थी, जो सिंह से दोस्ती कर खुफिया जानकारियां हासिल करना चाहती थी।

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