सैनिकों की शहादत पर झकझोर देने वाला खुलासा, HM की इस रिपोर्ट से शर्मसार हो गया देश

सैनिकों की मौतनई दिल्ली : किसी भी देश की सुरक्षा वहां की सरहदों पर तैनात जांबाज़ जवानों के हांथ में होती है। ऐसे जवान जो देश की आन, बान, शान के लिए अपनी जान तक गंवा देने में ज़रा भी नहीं हिचकते। आए दिन हम तमाम सैनिकों के शहीद होने की खबर पढ़ते हैं, जो किसी जंग में देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं। पर सैनिकों की मौत से सम्बंधित एक रिपोर्ट सामने आई है, जो हर देशभक्त को झकझोर कर रख देगी।

सैनिकों की मौत पर गृह मंत्रालय का खुलासा

गृह मंत्रालय के अनुसार, मुठभेड़ से ज़्यादा जवान तो भूंख से मर जाते हैं। हमारी सुरक्षा के लिए हर वक़्त मुस्तैद रहने वाले पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को पौष्टिक खाना भी नसीब नहीं हो रहा। लिहाजा युद्ध या मुठभेड़ में जान गंवाने वाले जवानों से कई गुना ज्यादा दिल की बीमारी और डायबिटीज से मर रहे हैं।

बीते दिनों सोशल मीडिया पर BSF के कई जवानों ने बेकार खाने और उनपर अधिकारियों द्वारा किए जा रहे अत्याचार की बात दुनिया के सामने राखी थी। इनमें सबसे पहले तेज बहादुर ने एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसके बाद से ही हंगामा खड़ा हुआ था।

जिसके बाद गृह मंत्रालय की ओर से कुछ आंकडे उपलब्ध कराए गए। इन आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) या पैरामिलिट्री फोर्स के सबसे ज्यादा जवानों की मौत खराब स्वास्थ्य के कारण होती है। हैरानी की बात यह है कि यह आंकड़ा युद्ध या मुठभेड़ में जान गंवाने वाले जवानों से भी तीन गुना अधिक है। हर दो महीने में तीन जवानों की दिल का दौरा पड़ने से मौत होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि खराब भोजन के चलते जवान बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं और मौत के आगोश में समा जाते हैं।

गृह मंत्रालय के आंकड़ों से खुलासा हुआ कि तीन साल और दो महीने में आतंकवाद निरोध अभियान के दौरान CRPF, BSF, ITBP, SSB, CISF, NSG और असम राइफल के 1,067 जवानों की जान गई, जबकि इस दरम्यान इससे तीन गुना यानी 3,611 सुरक्षाकर्मियों की मौत बीमारी से हुई।

पूर्व BSF प्रमुख डीके पाठक ने बताया कि उन्होंने पैरामिलिट्री के चिकित्सा निदेशालय से जवानों के स्वास्थ्य को लेकर समीक्षा कराई थी, जिसमें चिंताजनक परिणाम सामने आए। उन्होंने बताया कि इसमें पाया गया कि पैरामिलिट्री फोर्स में सबसे ज्यादा जवानों की मौत दिल की बीमारी के चलते हुई। इसके बाद खुदकुशी दूसरे नंबर पर है।

हालंकि पैरामिलिट्री फोर्स के चिकित्सा निदेशालय ने इस मुद्दे पर पर्दा डालने की पूरी कोशिश की, और मौतों के पीछे अधिक भोजन, खराब जीवनशैली बताया।

गृह मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक हिंसा प्रभावित जम्मू एवं कश्मीर और छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा के नक्सली इलाके में सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले BSF और CRPF के जवान सबसे ज्यादा खराब स्वास्थ्य से जूझ रहे हैं। जम्मू एवं कश्मीर में 38 महीने में CAPF के 303 सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई। वहीं, इस अवधि में छत्तीसगढ़ में 163 सुरक्षाकर्मियों और पश्चिम बंगाल में 70 सुरक्षाकर्मियों की जान गई।

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