सुसाइड प्वाइंट के नाम से प्रचलित शेरशाह सूरी तालाब लोगों के प्रयासों से बना सैर सपाटे का मुख्य केंद्र, जाने इसकी पूरी कहानी

कानपुर के चकेरी स्थित सुसाइड प्वाइंट के नाम से मशहूर पांच सौ साल पुराना शेरशाह सूरी तालाब जल संरक्षण के लिए सबसे उत्तम उदाहरण बन चुका है। इसे सुसाइड प्वाइंट के नाम से भी इसलिए जाना जाता है क्योंकि यहां एयरफोर्स के कुछ कर्मियों सहित अन्य लोग सुसाइड कर चुके हैैं। कुछ साल पहले तक इसे कूड़ाघर के रूप में देखा जाता था, लेकिन यहाँ के स्थानीय लोगों के प्रयासों से अब यह सैर सपाटे का मुख्य केंद्र बन चुका है।

साल 2006 में प्राचीन शिवमंदिर में महाभंडारा हुआ था, जिसमें लोगों ने इस तालाब को पत्तलों से ढक दिया था। बाद में स्थानीय लोगों ने इस तालाब को, बिना सरकारी मदद से, सजाने व संवारने का निर्णय लिया। आपस में धन एकत्र कर लोगों ने श्रमदान किया और जर्जर हो चुकी बाउंड्रीवाल को निर्मित कराने के साथ बैरीकेडिंग कर लोहे की जाली बनवाई गई। इसके बाद तालाब के सुंदरीकरण का काम शुरू हुआ।

इसकी सीढिय़ों पर एक स्थान पर बने नक़्शे के मुताबिक़ तालाब में एक सुरंग है जो रामादेवी से आगरा तक जाती है, जो ज़ाहिर है कि बंद की जा चुकी है। इसकी सुंदरता की बात करें तो यहां रोशनी के लिए सोडियम और एलइडी लाइटों के साथ तालाब में फव्वारा भी लगाए गए हैं। तालाब के किनारे खरगोश और बतख के बाड़े बनाए गए हैैं। मछलियों व कछुओं को दाना खिलाने के लिए लोग सुबह-शाम यहां आते हैं। यहां का शांत वातारण मानसिक शांति देता है। दो साल पहले बनी शेरशाह सूरी तालाब समिति पर तालाब को संवारने की जिम्मेदारी है।

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