मुस्लिमों के लिए आने वाली है सबसे बुरी खबर, सुप्रीम कोर्ट का एक एक्शन करेगा काम तमाम लेकिन देश के लिए भी…

सुप्रीम कोर्टनई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच जजों की खंडपीठ ने पिछले कई दिनों से चली आ रही तीन तलाक, बहुविवाह और हलाला निकाह सुनवाई पूरी कर ली है। गर्मियों की छुट्टी में भी इस विवादित मामले पर सुनवाई चली। खबरों के अनुसार इस पीठ में शामिल सभी धर्मों के जजों ने सुनवाई के दौरान अपने अपने तर्क रखे लेकिन सुनवाई में शामिल एकमात्र मुस्लिम जज ने इस दौरान एक भी शब्द नहीं बोला।

बता दें कि तीन तलाक पर सुनवाई करने वाली संविधान पीठ में मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर (सिख), आरएफ नरीमन (पारसी), जस्टिस कूरियन जोसेफ (ईसाई), यूयू ललित (हिंदू) और अब्दुल नजीर (मुस्लिम) हैं। सभी ने सुनवाई के दौरान अपना अपना पक्ष रखा लेकिन मुस्लिम जज ने एक भी शब्द नहीं बोला। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के जज किसी भी मजहब से ताल्लुक रखते हों लेकिन वो अदालत में फैसले सिर्फ और सिर्फ भारतीय संविधान की रोशनी में लेते हैं। वहीं इस मामले से जुड़ी याचिका में कुरान सुन्नत सोसाइटी, शायरा बानो, आफरीन रहमान, गुलशन परवीन, इशरत जहां और आतिया साबरी याचिकाकर्ता हैं।

एक निजी समाचार पत्र की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस अब्दुल नजीर ने छह दिनों तक चली सुनवाई के दौरान किसी भी पक्ष के वकील से कोई भी सवाल नहीं पूछा। वहीं अन्य सभी न्यायाधीशों ने विभिन्न पक्षों के वकीलों से इस्लाम और तीन तलाक से जुड़े कई सवाल पूछे। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेसी नेता और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सलमान खुर्शीद को एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया था। तीन तलाक के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाओं पर सुनवाई से पहले केंद्र सरकार का पक्ष भी मांगा था। वहीं इस मामले पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वो तीन तलाक को मानव अधिकारों के विरुद्ध मानती है। साथ ही साथ आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने भी सर्वोच्च अदालत से कहा था कि तीन तलाक इस्लाम का अंदरूनी मामला है।

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