सिनेमा जगत से जुड़े लोगों के साथ-साथ अब BSF के जवान तेज बहादुर काशी से होंगे उम्मीदवार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके ही गढ़ वाराणसी में घेरने के लिए महागठबंधन ने बड़ा मास्टरस्ट्रोक चला है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने वाराणसी में अपनी उम्मीदवार शालिनी यादव को हटा, बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव को मैदान में उतारा है. तेज बहादुर यादव पहले प्रधानमंत्री के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे.

BSF के जवान

लेकिन सोमवार को तेज बहादुर यादव ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर अपना नामांकन दाखिल किया. वह गठबंधन के उम्मीदवार होंगे. आम आदमी पार्टी ने भी तेज बहादुर यादव का समर्थन कर दिया है.

आपको बता दें कि 2017 में बीएसएफ जवान तेज बहादुर यादव ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उन्होंने जवानों को मिलने वाले खाने की क्वालिटी को लेकर शिकायत की थी. तभी से वह चर्चा में आए थे, हालांकि उस विवाद के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था. तभी से वह केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं.

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बीते दिनों ही तेज बहादुर यादव ने ऐलान किया था वह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं. उन्होंने तब कहा था कि मैंने भ्रष्टाचार का मामला उठाया लेकिन मुझे बर्खास्त कर दिया गया. मेरा पहला उद्देश्य सुरक्षा बलों को मजबूत करना और भ्रष्टाचार खत्म करना होगा.

साफ है कि एक तरफ भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रवाद के मुद्दे पर इस लोकसभा चुनाव में आगे बढ़ रही है, तो वहीं महागठबंधन ने अब उनके सामने एक पूर्व सैनिक को ही मैदान में उतार लड़ाई को दिलचस्प कर दिया है. हालांकि, क्या कांग्रेस तेज बहादुर यादव का समर्थन करेगी अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है.

अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी में सपा-बसपा-आप की तरफ से बीएसएफ के पूर्व जवान तेज बहादुर यादव, कांग्रेस की ओर से अजय राय, पूर्व जस्टिस एस. कर्णन, तमिलनाडु के कई किसान चुनाव लड़ रहे हैं.

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अभी कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से अपना नामांकन किया था. पीएम ने वाराणसी में एक मेगा रोड शो किया था और अपनी ताकत का एहसास कराया था. उनके नामांकन के दौरान एनडीए के कई दिग्गज भी साथ रहे थे, जिसमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे समेत कई अन्य नेता भी शामिल रहे थे.

2017 में जब तेज बहादुर ने वीडियो अपलोड किया था, तब वह जम्मू-कश्मीर में बॉर्डर के पास तैनात थे. उन्होंने सैनिकों को मिलने वाले खाने की क्वालिटी पर सवाल खड़े किए थे. लेकिन बीएसएफ ने उन्हें अनुशासनहीनता का आरोपी माना था और बाद में उन्हें बर्खास्त कर दिया था.

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