सिटी मजिस्ट्रेट की पत्नी को दिखा बेजुबां जानवरों का दर्द, ठंड में जगह जगह बना दिए डॉग होम

रिपोर्ट:- नीरज सिंघल/सहारनपुर

मौसम का मिजाज बेहद सख्त है तापमान रात में तीन डिग्री तक जा रहा है ऐसे में लोगो और राहगीरों के लिए रैन बसेरों का इंतेजाम सरकार के आदेश पर और प्रशासनिक अधिकारियों की देखरेख बद्दस्तूर हर साल की तरह इस बार भी जारी है। लेकिन इस सब के बीच सरकार या किसी प्रशासनिक अधिकारी की निगाह उन बेजुबान जानवरों पर नही जाती जो बेघर लावारिस इन्ही सड़को पर अपनी रात काटते है।

जो किसी को बता भी नही पाते कि उन्हे ठंड लग रही है। मगर सहारनपुर में एक महिला की नजर इस पर गयी और उन्होंने इन लावारिस डॉग्स के लिए शहर में जगह जगह डॉग्स होम बनवा दिए।

बेजुबां जानवरों का दर्द

उन बेजुबां-बेसहारा जानवरों की मदद के लिए रात में अपनी टीम के साथ निकली इस महिला ने ना सिर्फ डॉग्स होम बनवाए बल्कि लोगो को इन बेसहारा जानवरो से इस कड़कती ठंड में नरमी से पेश आने के लिए जागरूक भी किया। सिटी मजिस्ट्रेट सहारनपुर की पत्नी और सोशल एक्टिविस्ट सुरभि के इस प्रयास की अब हर तरफ जमकर सराहना हो रही है।

आपको बता दे सहारनपुर के सिटी मजिस्ट्रेट पंकज वर्मा की पत्नी ”सुरभि” की। सुरभि की प्राथमिक पढ़ाई बलिया से हुई और आगे की पढ़ाई बनारस से। IAS बनने का सपना संजोएं उन्हाेंने पूरी मेहनत के साथ तैयारी शुरू की लेकिन इसी बीच उनके साथ एक ऐसी घटना घटी जिसने उनके जीवन की दिशा काे ही बदल दिया।

सुरभि बताती हैं कि उनके पास एक डॉगी था जिसकी अंजान बीमारी के चलते माैत हाे गई। जब उन्होंने अपनी आंखों के सामने अपने प्यारे डॉगी (पप्पी) काे मरते हुए देखा ताे इस घटना ने उनके दिल काे झकझोर कर रख दिया। इस घटना के बाद सुरभि ने ठान लिया कि बेजुबां जानवरों के लिए काम करेंगी और उनका दर्द बाटेंगी।

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यह घटना करीब तीन साल पहले की है। इस घटना के बाद सुरभि ने बेजुबां जानवरों की मदद के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए ताे फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज तक वह 40 से अधिक घायल जानवरों काे उपचार दिला चुकी हैं। सुरभि सिर्फ जानवरों पर ही काम नहीं कर रही, आपको यह जानकर हैरानी हाेगी कि वह चाईल्ड ट्रैफिकिंग के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं दाे ऐसी बच्चियों काे स्कूल तक पहुंचाया जाे देख नहीं सकती थी और उन बच्चियों से भीख मंगवाई जा रही थी।

सुरभि (Surbhi) के ही अनुसार तीन वर्षों में वह करीब 400 ऐसी बच्चियों का स्कूल में एडमिशन करा चुकी हैं जिन्हे उनके परिवार वाले ही स्कूल नहीं भेज रहे थे। इतना ही नहीं दस से अधिक स्वयं सहायता समूह का गठन कराते हुए सैकड़ों महिलाओं काे सशक्त बना चुकी हैं। बलिया, वाराणसी और बिजनौर के अलावा सहारनपुर में भी वह कई बच्चियों काे स्कूल की राह दिखा चुकी हैं। सुरभि कहती हैं कि ऐसा करने की प्रेरणा और साहस उन्हे अपने पति पंकज वर्मा (सिटी मजिस्ट्रेट सहारनपुर) से मिलता है।

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