तो इसलिए सावन में माहिलाओं को भाता है हरा रंग

सवान का महीनानई दिल्ली : सवान का महीना शुरू होते ही महिलाओं में उत्साह देखने को मिलता है. बारिश की बूंदों और सावन के गीतों के साथ इसे बहुत धूम धाम से मनाया जाता है. यह महीना हरियाली का प्रतीक माना जाता है. इस महीने में हरे रंग का एक खास महत्व है. सावन में हरी चूड़ियां एवं हाथों में मेंहदी लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. पौराणिक कथा के अनुसार सावन मास में पार्वती ने भोले शंकर को रिझाने के लिए मेंहदी लगाने के साथ हरी रंग की चूड़ियां पहनी थी.

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ये परम्परा आज के समय में भी बरकरार है. सभी उम्र की सुहागन महिलाएं सावन मास में हरी चूड़ियां  एवं हाथों में मेंहदी लगाती हैं, वैसे तो ये मान्यता है कि सावन में केवल सुहागन औरतों को ही हरी चूड़ियां और मेहंदी लगानी चाहिए. लेकिन आज के समय में मान्यता ट्रेंड में तब्दील होती नजर आ रही है. अब विवाहित स्त्री हो या अविवाहित सभी फैशन के चलते इसे पहना पसंद करती हैं.

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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सावन में हरी चूड़ियां पहनने का महत्व-

 

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सावन का महीना प्रकृति के सौन्दर्य का महीना होता है। शास्त्रों में महिलाओं को भी प्रकृति का रूप माना गया है. इस मौसम में बरसात की बूंदों से प्रकृति खिल उठती है. हर तरफ हरियाली छा जाती है.

हरे रंग का वस्त्र धारण की वजह-

माना जाता है कि सावन के महीने में हरे रंग का वस्त्र धारण करने से सौभाग्य में होती है और पति-पत्नी के बीच स्नेह बढ़ता. हरा रंग उर्वरा का प्रतीक माना जाता है. सावन के महीने में प्रकृति में हुए बदलाव से हार्मोन्स में भी बदलाव होते हैं, जिसका प्रभाव शरीर और मन पर पड़ता जो स्त्री पुरुषों में काम भावना को बढ़ाता है.

सावन में हरा रंग पहनने का आयुर्वेद कारण-

बारिश के मौसम में बीमारी होने का खतरा बढ़ा जाता है. हरा रंग एक ऐसा रंग है जिससे पोस्टिव वेव आती है. आयुर्वेद में हरा रंग कई रोगों में कारगर माना गया है.

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