सर्वोच्च न्यायालय ने आम्रपाली के खरीदारों को दी बड़ी खुशी , एनबीसीसी को अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के दिए निर्देश…

सुप्रीम कोर्ट ने 42 हजार से ज्यादा घर खरीदारों के हक में फैसला सुनाते हुए मंगलवार को आम्रपाली का रेरा रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है। वहीं इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने खरीदारों को बड़ी राहत देते हुए एनबीसीसी को यह निर्देश दिया है कि वह आम्रपाली की अटकी परियोजनाओं को पूरा करे। देखा जाये तो अदालत ने निवेशकों को यह निर्देश भी दिया है कि अब वह पैसे एनबीसीसी को दें। जहां इस मसले पर जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई करते हुए बड़ा आदेश दिए है।

 

देखा जाये तो नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों के अधूरे प्रोजेक्ट पूरा करने में संसाधनों की कमी की बात कहकर हाथ खड़े करने के बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले में 10 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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लेकिन दोनों प्राधिकरणों ने घर खरीदारों के हितों को देखते हुए और सियासी दबाव के चलते आम्रपाली पर लीज एग्रीमेंट रद्द करने जैसी कोई कार्रवाई करने में खुद को लाचार बताया था। वहीं 23 जुलाई यानि आज सुप्रीम कोर्ट में खरीदारों का भविष्य तय कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये से खरीदारों में आस जगी है कि इस दिन सुप्रीम कोर्ट कोई अहम निर्देश दे सकता है। यही नहीं आम्रपाली के मामले में कोर्ट को अलग से अहम फैसला भी लेना है।

बतादें की कोर्ट ने अपने आदेश में प्रवर्तन निदेशालय को आम्रपाली द्वारा फंड में की गई गड़बड़ी की जांच करने का भी निर्देश दिया है। लेकिन इस बारे में कोर्ट का कहना हैं की आम्रपाली के चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर और अन्य निदेशकों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस दर्ज हो।

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को खरीदारों के हित में एक प्रस्ताव बनाने का निर्देश दिया है। लेकिन इससे खरीदारों की समस्या का समाधान करने के बाबत कहा गया है। अब केंद्र सरकार का संबंधित मंत्रालय प्रस्ताव का मसौदा तैयार कर रहा है। इससे खरीदारों को पता चलेगा कि केंद्र ने उनके लिए क्या समाधान योजना निकाली है।

दरअसल बिल्डरों का कहना है कि प्राधिकरणों से उन्हें जीरो पीरियड दिलाया जाए। लेकिन इससे कई बिल्डरों को तुरंत फायदा होगा। कई बिल्डरों ने प्राधिकरणों में एक तय समयावधि के लिए जीरो पीरियड की मांग की है।

देखा जाये तो प्राधिकरणों ने उनकी मांगों को मानने से मना कर दिया है। अगर केंद्र सरकार की ओर से इस बाबत कोई अहम निर्देश आता है और सरकार का दबाव पड़ता है तो प्राधिकरणों को इस मामले में जीरो पीरियड देने का फैसला करना पड़ सकता है, जो कहीं न कहीं प्रोजेक्ट को पूरा होने और खरीदारों का भविष्य तय करने में मदद कर सकता है।

 

 

 

 

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