सरकार की योजनाओं से कोसों दूर आदिवासी समुदाय! जानें पूरी हकीकत

Report-brajesh panth

ललितपुर- सालों से राजनीतिक पार्टियां आदिवासियों के विकास के उत्थान के नाम पर बड़ी बड़ी योजनाएं तो बना देती है और उन योजनाओं पर करोड़ो रूपये का बजट भी खर्च करने का दावा करती है। लेकिन ग्राउंड जीरो पर इसकी हकीकत कुछ और ही है।

बुन्देलखण्ड के ललितपुर जिले में आदिवासियों की लगभग 32 हजार की आबादी है जो जनपद के 416 गांवों के लगभग 40 प्रतिशत गांव में रहकर अपना जीवन यापन करते है।

हैरानी की बात है कि तमाम सरकारे आई और गई लेकिन यह समुदाय आज भी जंगलों में जंगलों के सहारे तरह तरह की प्रताड़ना के बाद भी उसी स्थिति में अपना जीवन यापन कर रहा है जिस हालात में 40 बर्ष पहले था। आर्थिक तंगी और परिवार के भरण पोषण के हर बर्ष इस समुदाय के 40 प्रतिशत लोग पलायन कर जाते है।

सरकार की योजनाओं का लाभ नही मिलने से इनके विकास का पहिया दलदल में भी धसा रहता है और जहाँ तहां सरकार की योजना इस समुदाय तक पहुची भी है तो वह भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ गई। जिसे आवास मिला तो वह भी अधूरा,शोंचालय भी अधूरा,भूमि के पट्टे भी हुए तो कब्जा गांव के दबंग किये है। विरोध पर दबंगो द्वारा कानूनी दाव पेंच फसा कर उनका उत्पीड़न किये जाने की परंपरा है।

इस बात को लेकर स्कूल ने छात्रा को निकाला, अपनी फरियाद लेकर डीएम कार्यालय पहुंची…

जिलाधिकारी कार्यालय पहुचे एक दर्जन से अधिक गांव के सैकड़ो आदिवासियो ने आज आलाधिकारियों को ज्ञापन देकर अपने अधिकारों और सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाये जाने की मांग की है। आदिवासीयो की सैकड़ो की संख्या देख सदर विधयाक एक बार फिर आदिवासियो के बीच पहुँच गए और हर बार की तरह सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने का झुनझुना धमा दिया। वही अपर जिलाधिकारी ने ज्ञापन लेकर कार्यवाई की बात कही है।

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