अंतरिक्ष ही नहीं समुद्र के अंदर भी कायम होगा भारत का दबदबा, तलहटी तक जाएगा पहला वाटरक्राफ्ट

समुद्र की गहराईनई दिल्ली। अमेरिका, चीन, रूस और जापान जैसे देशों की तर्ज पर भारत ने भी समुद्र की गहराई नापने वाला वाटरक्राफ्ट तैयार करने का मन बना लिया है। बताया जाता है कि इसमें तीन लोग बैठकर समुद्र की गहराई में जा सकेंगे। साथ ही इसकी सहायता से समुद्र के भीतर बिना किसी बाधा के 10 घंटे काम कर पाने में भी सफल हो पाएंगे। इस यान के तैयार होने के साथ भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा जिनके पास समुद्र की गहराइयों में यान भेजने की क्षमता है।

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ख़बरों के मुताबिक़ ईएसएसओ-नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओशन टेक्नॉलजी के वैज्ञानिकों की एक टीम गहरे पानी में जा सकने वाले देश के पहले इंसानी यंत्र के शुरुआती डिजाइन के साथ तैयार हैं।

इसमें तीन लोग सवार हो सकते हैं। इस पर करीब 500 करोड़ रुपए खर्च होने की उम्मीद है। इस वाटरक्राफ्ट को तैयार होने में पांच साल का समय लग सकता है।

यान का जो शुरूआती मॉडल तैयार किया गया है उसके मुताबिक वैज्ञानिक गहरे समुद्र में छह किमी अंदर तक जा पाएंगे और समुद्र के अंदर धातुओं और जीव-जंतुओं के बारे में जानकारी जुटाएंगे। यान में तीन क्रू मेंबर एक टाइटैनियम के खोल में लेटे होंगे। वे पानी के अंदर करीब 10 घंटे तक काम कर पाएंगे।

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एक रोबॉटिक हाथ की मदद से वे समुद्र के तल से सैंपल्स इकट्ठा कर सकेंगे। इसके अलावा, शीशे की खिड़की से समुद्री सतह को देख भी सकेंगे।

नेशनल इंस्टिच्यूट ऑफ ओशन टेक्नॉलजी के डायरेक्टर सतीश शेनोई ने बताया कि इस वाटरक्राफ्ट को लेकर एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को दिया गया है और हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मंजूरी मिलने के बाद वैज्ञानिकों की एक टीम डिजाइन का मूल्यांकन करके काम में लग जाएगी। उस टीम में इसरो, डीआरडीओ और आईआईटी के वैज्ञानिक शामिल होंगे।

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