सफलता: वर्ल्ड बैंक की नौकरी छोड़, कर रही 50 लाख भारतीयों की मदद!

यह सफलता की कहानी उस महिला की, जो वर्ल्ड बैंक की नौकरी छोड़कर सांसदों की मदद कर रही हैं, जिससे कि भारत के हर क्षेत्र में सर्वांगीण विकास हो सके. कहानी है ऋत्विका भट्टाचार्य की, जो लोगों की उन आवश्यकताओं को पूरी करने के लिए नेताओं की मदद कर रही हैं, जो कि जनता की जरूरत है.

 

इसके लिए ऋत्विका स्वानीति इनिशेटिव नाम की एक संस्था शुरू की है, जिसके माध्यम से वो 50 लाख भारतीयों की मदद कर रही हैं.

अपनी संस्था शुरू करने से पहले ऋत्विका ने वर्ल्ड बैंक के साथ काम किया था, हालांकि बैंक के साथ उनकी पारी ज्यादा दिन तक नहीं चल सकी. साथ ही उन्होंने हार्वर्ड केनेडी स्कूल से पढ़ाई की है. लेकिन उन्होंने इतनी पढ़ाई करने के बाद कोई अच्छी नौकरी करने के बजाय नेताओं की मदद से लोगों के विकास करने में हाथ बढ़ाया.

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अभी तक उनकी संस्था ने सांसदों और राज्य-जिला प्रशासन के साथ 50 लाख आम भारतीयों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाला कार्य किया है. दरअसल यह संस्था कृषि, शिक्षा, आजीविका, नवीकरणीय ऊर्जा, सामाजिक कल्याण, जल, स्वास्थ्य और पोषण जैसे क्षेत्रों में विश्लेषण और अनुसंधान करती है और सांसदों के साथ मिलकर उन पर कार्य करती है, ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ हर समुदाय तक पहुंच सके. साथ ही उनकी समस्याओं की जानकारी हासिल हो सके.

उन्होंने वेबसाइट द बेटर इंडिया को बताया, ‘मेरा वर्ल्ड बैंक के साथ अनुभव अच्छा था, लेकिन मैं कुछ और करना चाहती थी. मेरे पिता रंजन भट्टाचार्य राजनीति में सक्रिय थे, इसलिए सांसदों को देखते और उनसे मुलाकात करते हुए मेरा जीवन गुजरा. मैं देखना चाहती थी कि वो कैसे काम करते हैं और उनकी सीट पर कैसा विकास है.’ हालांकि बाद में उन्होंने इन्हीं सांसदों के साथ कार्य किया और वो लोगों की मदद कर रही हैं.

उनके इस काम से उन्हें काफी प्रसिद्धी भी मिली है और उन्हें फोर्ब्स की लिस्ट 30 अंडर 30 में शामिल किया गया था. 2009 में बनी स्वानीति इनिशेटिव 10 साल से यह काम कर रही हैं और अब इससे कई सांसद, विधायक और स्थानीय प्रशासन जुड़ गए हैं.

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