सपा का सियासी घमासान जारी, चाचा शिवपाल का मंत्रिमंडल से इस्तीफा मुख्‍यमंत्री ने किया नामंजूर, मगर तेवर बरकरार

सियासी घमासानलखनऊ। सपा में चल रहे सियासी घमासान के बीच माहौल अचानक बिगड़ता नजर आया। कैबिनेट के मंत्री और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल ने पार्टी को इस्‍तीफा दे दिया। मामला यहीं नहीं रुका शिवपाल ने प्रदेश अध्यक्ष के पद से भी इस्तीफा दे दिया।

जिसके बाद उनके बेटे आदित्‍य यादव ने कॅापरेटिव फेडरेशन के चेयरमैन पद से और पत्‍नी सरला यादव ने जिला सहकारी बैंक की चेयरमैन पद से इस्‍तीफा दे दिया। लेकिन तेवर में चल रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसको नामंजूर कर दिया।

वर्चस्‍व की जंग में आमने-सामने चाचा और भतीजा  

चाचा और भतीजे की इस गरमा-गरमी से प्रदेश की राजनीति जंग का मैदान बन गयी है। इसको देखकर ये माना जा रहा है कि 2017 में होने वाले चुनावों पर इसका असर पड़ेगा। पिछले 48 घंटों से सपा परिवार का सियासी ड्रामा लगातार नया रूप ले रहा है। कभी शिवपाल सफाई से मीडिया को संबोधित करते थे और कुछ देर बाद दिल्ली पहुंचकर मुलायम सिंह यादव से वार्ता करते हैं। फिर देर शाम लखनऊ आकर अपनी बात सबके सामने रखते हैं। बृहस्पतिवार को पहले शिवपाल सिंह ने मुलायम सिंह यादव से बात की और इसके बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात करके घर पहुंचे।

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शिवपाल यादव सपा सरकार में पीडब्ल्यूडी, सिंचाई, समाज कल्याण जैसे कई प्रमुख विभागों के मंत्री रहे हैं। मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले ही उनसे सारे महत्वपूर्ण विभाग छीन लिए थे। हालांकि सपा मुखिया ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौपीं थी। आज लंबी बातचीत के दौर चलने के बाद उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। हालांकि मुख्यमंत्री ने शिवपाल सिंह यादव का मंत्री पद से इस्तीफा वापस कर दिया है।

राम गोपाल ने कहा पार्टी में मतभेद नहीं

मुलायम सिह आज सुबह लखनऊ पहुंचे क्‍योंकि कल संसदीय दल की बैठक में उन्‍हें भाग लेना है। फिलहाल इस मुलाकात को लेकर कयासों के दौर जारी रहे। दिल्‍ली से लखनऊ रवाना होने से पहले सपा के कुछ नेताओं के साथ भेंट करने के बाद मुलायम सिंह यादव ने मीडिया से बात की थी। मुलायम सिंह ने कहा कि दिल्ली में मुलायम सिंह यादव ने कहा कि शिवपाल सिंह हमेशा खुशमिजाज रहते है। हमने उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाने का यह फैसला रामगोपाल से मिलकर लिया है।

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नेता जी ही सबकुछ

प्रोफेसर रामगोपाल के अनुसार सारे फैसले नेताजी ने लिये हैं उनकी हैसियत नहीं जो नेताजी की बात टाल दें। अखिलेश तो पहले से ही नेताजी की छांव में हैं फिर इस सवाल का जवाब नहीं निकल सका कि कलह क्यों है। जब सभी फैसले नेताजी के हैं और सभी उनकी बात मानने को तैयार हैं तो दिक्कत कहां है। बाहरी के नाम पर अमर सिंह को परिवार ने निशाना बना दिया है। इसकी भूमिका अखिलेश ने लिखी और रामगोपाल ने इसे विस्तार दे दिया। उधर शिवपाल ने अमर सिंह के प्रति जो भावना उड़ेली उससे साफ है कि टकराव के केंद्र में अमर सिंह भी हैं। अब बात यह होती है कि इन अटकलों के बीच अमर सिंह पर क्‍या गाज गिरेगी। राम गोपाल ने शिवपाल-अखिलेश की मुलाकात से कुछ और भी समीकरण बनने के संकेत दिय हैं।

तेवर में अखिलेश

दरअसल अखिलेश यादव 2017 के चुनावों में अपने काम के दम पर राजनीति करना चाहते हैं। जिसके लिए उन्‍होंने कमर कस ली है। प्रोफेसर राम गोपाल यादव हों या शिवपाल सिंह यादव सभी अखिलेश से मिलने पहुंचे हैं। सूत्रों की माने तो अखिलेश ने एक बात साफ कर दी है कि वह कोई बेवजह का दबाव बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसके साथ ही खराब छवि के लोगों को महत्‍व नहीं देंगे और बिचौलियों का हस्तक्षेप भी स्वीकार नहीं करेंगे। इससे मामला साफ हो जाता है कि परिवार की आपसी कलह राजनीति का संग्राम बन गयी है। जिसका नतीजा यह निर्धारित करेगा कि आने वाले चुनावों में क्‍या होगा।

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