संसद में लगे फारुक अब्दुल्ला को रिहा करो के नारे , जाने पूरा मामला…

शीतकालीन सत्र में पहले दिन ही लोकसभा में कार्यवाही प्रारंभ होते ही हंगामा शुरू हो गया हैं। वहीं देखा जाए तो जम्मू कश्मीर की स्थिति को लेकर कांग्रेस और महाराष्ट्र में किसानों की स्थिति को लेकर शिवसेना सांसदों ने अलग – अलग मुद्दे को लेकर हंगामा शुरू हो गया है।

 

 

खबरो की माने तो सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सांसदों को बधाई दी और कहा कि सरकार सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि संवाद और चर्चा होनी चाहिए, सभी को संसद में चर्चा को समृद्ध बनाने में योगदान देना चाहिए। वहीं लोकसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि संसद बहस, चर्चा और वार्ता के लिए होती है।

 

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जहां लोकसभा अध्यक्ष ने जैसे ही प्रश्नकाल की शुरुआत की उसी समय कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, द्रमुक और शिवसेना के सदस्य अपने स्थान पर खड़े हो गए।

लेकिन कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि सरकार लोकतंत्र को खत्म कर रही है और विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है। दूसरी तरफ, शिवसेना के नेताओं ने महाराष्ट्र के किसानों को राहत देने की मांग करते हुए नारेबाजी की।

कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के निकट पहुंच गए। उन्होंने ‘फारुक अब्दुल्ला वापस लाओ’ और ‘लोकतंत्र की हत्या बंद करो’ के नारे लगाए। नेशनल कांफ्रेस के हसनैन मसूदी भी कांग्रेस सदस्यों के साथ आसन के निकट पहुंचे। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन ने कहा कि मैं यहां से यह भी मुद्दा उठाना चाहता हूं कि आखिर सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा जी की एसपीजी सुरक्षा क्यों हटाई गई।

भाजपा की पूर्व सहयोगी शिवसेना के सदस्य अपने स्थान पर खड़े होकर ‘किसानों को राहत दो’ नारे लगाए। सदन में नारेबाजी के बीच संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है। कार्य मंत्रणा समिति में जो मुद्दे तय होंगे उन पर नियमों के अनुसार चर्चा होगी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी सदस्यों से अपने आसन पर जाने और नारेबाजी बंद करने की अपील की। लेकिन सदन में हंगामा जारी रहा।

वहीं राज्यसभा में सोमवार को पूर्व वित्त मंत्री तथा सदन के पूर्व नेता अरुण जेटली तथा राम जेठमलानी एवं तीन पूर्व सदस्यों जगन्नाथ मिश्र, सुखदेव सिंह लिबरा एवं गुरदास दासगुप्ता को श्रद्धांजलि दी गई और इन नेताओं के सम्मान में बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

लोकसभा और राज्यसभा में सुषमा स्वराज और अरुण जेटली समेत दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई। राज्यसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा, ‘मैं अरुण जेटली को निजी तौर पर जानता था। हमारे बीच की राजनीतिक खटास हमारे निजी संबंधों के कारण मिठास में बदल जाती थी। छात्र जीवन से लेकर मृत्यु तक, उनका जीवन बहुत सक्रिय रहा। वह एक अच्छे छात्र, वक्ता और नेता थे। जेटली जी जैसे लोगों के जाने से अकेले किसी पार्टी को नहीं बल्कि पूरे देश को नुकसान हुआ है। मैं उनकी आत्मा की शांति की दुआ करता हूं।’

दरअसल केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर संसद के सत्र में हिस्सा लेने के लिए इलेक्ट्रिक कार से पहुंचे। उन्होंने कहा, ‘सरकार धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक कारों की ओर जा रही है क्योंकि वे प्रदूषण मुक्त हैं। मैं लोगों से अपील करता हूं कि वह प्रदूषण से लड़ाई में योगदान दें। वह सार्वजनिक परिवहन, इलेक्ट्रिक वाहनों आदि का इस्तेमाल करें।’

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