जानिए…भगवान शिव का शंख से क्यों नहीं किया जाता अभिषेक

शिवलिंग पर शंखवेद-पुराणों के अनुसार पूजन कार्य में शंख का उपयोग महत्वपूर्ण माना गया है। हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओं को शंख से जल चढ़ाना अति शुभ माना जाता है लेकिन शिवलिंग पर शंख के स्वर जल चढ़ाना अशुभ माना गया है। आखिर क्यों शिवजी को शंख से जल अर्पित नहीं करते है ? इससे जुड़ी कथा शिवपुराण में बताई गई है।

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कथा इस प्रकार है:-

शिवपुराण की कथा के अनुसार शंखचूड नाम का महापराक्रमी दैत्य हुआ। शंखचूड दैत्यराम दंभ का पुत्र था। दैत्यराज दंभ को काफी समय तक संतान उत्पन्न नहीं हुई तब उन्होंने भगवान विष्णु के लिए कठोर तप किया। दैत्यराज दंभ के कठिन तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उसके समक्ष विष्णु प्रकट हुए तथा वरदान मांगने को कहा.

तब दंभ ने वरदान स्वरुप तीनों लोको के लिए अजेय एक महापराक्रमी पुत्र का वर मांगा। तब दंभ के यहां एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम शंखचूड़ पड़ा।

शंखचुड ने पुष्कर में ब्रह्माजी के लिए घोर तपस्या की और उन्हें प्रसन्न कर लिया। ब्रह्मा ने वरदान मांगने के लिए कहा तब शंखचूड ने वर मांगा कि वो देवताओं के लिए अजेय हो जाए।

ब्रह्माजी ने तथास्तु बोला और उसे श्रीकृष्णकवच दिया। साथ ही ब्रह्मा ने शंखचूड को धर्मध्वज की कन्या तुलसी से विवाह करने की आज्ञा दी। फिर वे अंतध्र्यान हो गए।

ब्रह्मा की आज्ञा से तुलसी और शंखचूड का विवाह हो गया। ब्रह्मा और विष्णु के वरदान के मद में चूर दैत्यराज शंखचूड ने तीनों लोकों पर स्वामित्व स्थापित कर लिया।

देवताओं ने त्रस्त होकर विष्णु से मदद मांगी परंतु उन्होंने खुद दंभ को ऐसे पुत्र का वरदान दिया था अत: उन्होंने शिव से प्रार्थना की।

तब शिव ने देवताओं के दुख दूर करने का निश्चय किया और वे चल दिए। परंतु श्रीकृष्ण कवच और तुलसी के पतिव्रत धर्म की वजह से शिवजी भी उसका वध करने में सफल नहीं हो पा रहे थे तब विष्णु ने ब्राह्मण रूप बनाकर दैत्यराज से उसका श्रीकृष्णकवच दान में ले लिया।

इसके बाद शंखचूड़ का रूप धारण कर तुलसी के शील का हरण कर लिया। अब शिव ने शंखचूड़ को अपने त्रिशुल से भस्म कर दिया और उसकी हड्डियों से शंख का जन्म हुआ।

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चूंकि शंखचूड़ विष्णु भक्त था अत: लक्ष्मी-विष्णु को शंख का जल अति प्रिय है और सभी देवताओं को शंख से जल चढ़ाने का विधान है।

परंतु शिव ने चूंकि उसका वध किया था अत: शंख का जल शिव को निषेध बताया गया है। इसी वजह से शिवजी को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है।

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