सिंहस्थ कुंभ बनाम शिवराज की ब्रांडिंग!

शिवराजभोपाल। मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में चल रहा सदी का दूसरा सिंहस्थ कुंभ राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ब्रांडिंग का जरिया बन गया है, तभी तो सरकार की ओर से जारी किए जाने वाले विज्ञापनों से लेकर आंमत्रणों में शिवराज की तस्वीरें छाई हुई हैं। आलम तो यह है कि कई विज्ञापनों में महाकाल से ज्यादा जगह शिवराज की तस्वीरों को दी गई है।

शिवराज की राजनीति

उज्जैन में 22 अप्रैल से इस शताब्दी का दूसरा सिंहस्थ कुंभ शुरू हुआ है, यह समागम 21 मई तक चलेगा। इस दौरान कुल तीन शाही स्नान तय हैं। सिंहस्थ की शुरुआत पहले शाही स्नान के साथ 22 अप्रैल को हुई और समापन 21 मई को शाही स्नान से होगा। दूसरा शाही स्नान अक्षय तृतीया पर नौ मई को हुआ। इस धार्मिक समागम के प्रचार-प्रसार में सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी है।

इस धार्मिक समागम को भी सरकारी महकमे ने मुख्यमंत्री चौहान की ब्रांडिंग का हथियार बना लिया है। वैसे तो राज्य का सरकारी महकमा मौका कोई भी हो, चौहान की तस्वीरों वाले पोस्टर, होर्डिग और विज्ञापन जारी करने में पीछे नहीं रहता, मगर सिंहस्थ कुंभ में तो सारी हदें पार हो गई हैं।

एक तरफ मीडिया में विज्ञापनों का बोलबाला है तो दूसरी ओर उज्जैन भी चौहान की तस्वीरों और पोस्टरों से भरा पड़ा है। इतना ही नहीं, कई ट्रेनें तो सिंहस्थ के विज्ञापनों से रंगी पड़ी है और इन सभी में शिवराज की तस्वीर जरूर है।

सरकार और नेताओं के प्रचार पर कहीं से दबे स्वर में तो कहीं खुले आम आवाज उठ रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से नाता रखने वाले भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभाकर केलकर ने इस प्रचार की होड़ पर सवाल उठाए हैं।

उन्होंने उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि सिंहस्थ धार्मिक और आध्यात्मिक समागम है, और इस पर भी राजनीतिक कब्जे की कोशिश हो रही है। यहां नेताओं की इतनी तस्वीरे लगाई गई हैं, जिसे देखकर ऐसे लगता है कि मानो यहा कोई राजनीतिक आयोजन चल रहा हो।

वरिष्ठ और बुजुर्ग पत्रकार लज्जा शंकर हरदेनिया ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा कि उन्होंने अब से पहले उज्जैन के तीन सिंहस्थ कुंभ देखे है, मगर कभी भी इस तरह से मुख्यमंत्री का प्रचार होते नहीं देखा, क्योंकि यह आयोजन धार्मिक है और सरकार का काम सिर्फ प्रबंध करना होता है। इसके उलट आज सिंहस्थ के विज्ञापनो में मुख्यमंत्री की तस्वीरें भरी पड़ी है।

उन्होंने आगे कहा कि सुंदरलाल पटवा के मुख्यमंत्रित्वकाल में भी सिंहस्थ कुंभ हुआ था, तब उन्होंने अपने मंत्रियों से साफ कह दिया था कि कोई भी सिंहस्थ में नहीं जाएगा। वे स्वयं भी नहीं गए थे, क्योंकि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के जाने से व्यवस्था सुधरती नहीं बिगड़ती है, मगर वर्तमान के मुख्यमंत्री तो रोज-रोज उज्जैन पहुंच रहे हैं। इससे व्यवस्था सुधरने की बजाय बिगड़ रही है।

लोगों का मानना है कि अगर श्रद्धालुओं को आमंत्रित करने के लिए सरकार को विज्ञापनों का सहारा लेना जरूरी ही है तो उसे शंकराचार्यो की तस्वीरों और संदेश वाले विज्ञापन जारी किए जाना चाहिए, क्योंकि यह सरकारी नहीं, बल्कि धार्मिक आयोजन है।

प्रचार के मामले में तो सरकारी वेबसाइट ने सभी को पीछे छोड़ दिया है। इस वेबसाइट पर नीचे लोग क्षिप्रा नदी की आरती कर रहे हैं तो उसके उपर मुख्यमंत्री की हाथ जोड़ तस्वीर चस्पा है।

सरकार की ओर से जारी किए जाने वाले विज्ञापनों में मुख्यमंत्री की बड़ी-बड़ी तस्वीरें प्रकाशित किए जाने पर उठ रहे सवालों लेकर जनसंपर्क विभाग और सरकारी उपक्रम माध्यम के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो कोई भी उपलब्ध नहीं हुआ।

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