शासन-प्रशासन से निराशा मिलने के बाद अब भगवान के भरोसे बाढ़ पीड़ित!

रिपोर्ट – अक्षय कुमार शर्मा

बहराइच- जनपद बहराइच के बाढ़ ग्रस्त इलाके के कटान पीड़ितों ने शासन और प्रशासन तक अपनी पीड़ा सुनाने के बाद अब देवी देवताओं का सहारा लिया है। ग्रामीणों का यह मानना है कि भले ही सरकार के नुमाइंदे उनकी बात ना सुने लेकिन पूजा पाठ करके वह अपनी बात देवी-देवताओं तक पहुंचा सकते हैं।

जिससे उनकी समस्या का निदान हो सकता है,, खबर जनपद बहराइच के बाढ़ग्रस्त इलाके का है जहां पर घाघरा नदी विकराल रूप धारण कर प्रतिदिन सैकड़ों बीघा खेती योग्य जमीन को अपने अंदर समाहित कर ले रही है। यही नहीं खेत में लगा धान, गन्ना और तरह-तरह की खड़ी फसलें भी नदी में कटकर समाहित हो रही हैं। अपनी आंखों के सामने बर्बाद होती फसल और कटती जमीन को देख मजबूर ग्रामीण कलेजे पर हाथ रखे अपनी बर्बादी की दुर्दशा देखने को मजबूर है।

वजह यह है कि घाघरा की कटान के आगे किसी का कोई बस नहीं चल रहा है लगातार घाघरा नदी जमीनों को काटते हुए ग्रामीण इलाकों की तरफ बढ़ रही है जिससे लोगों में दहशत का माहौल फैला हुआ है। ग्रामीणों की माने तो नदी की कटान की वजह से कैसरगंज इलाके के मंझारा तौकली, ग्यारह सौ रेती। भौरी, घुरदेवी सहित कई गांव के हजारों बीघा जमीन नदी में समाहित हो चुकी है। फसल के कट जाने से ग्रामीणों के ऊपर भुखमरी के बादल मंडराने लगे हैं,,हालांकि इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों का यह कहना है कि कटान पीड़ितों को सहायता मुहैया कराई जा रही है लेकिन लगातार नदी की कटान बड़ी समस्या बनी हुई है।

जनपद बहराइच की तीन तहसील नानपारा,महसी और कैसरगंज के सैकड़ों गांव हर साल बाढ़ की चपेट में आते हैं इन इलाकों से चुने जाने वाले नुमाइंदे ही नहीं बल्कि जिला प्रशासन के आला अधिकारी हर बार इन्हें बाढ़ की चपेट से बचाने के लिए बड़े-बड़े वादे करते हैं।

लेकिन उसके बावजूद कभी कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया जाता है, जिसका खामियाजा केवल इन बाढ़ पीड़ित ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है बाढ़ के समय में ग्रामीणों द्वारा बनाए गए आशियाने नदी में कटकर समाहित हो जाते हैं, लगातार जमीनों के कटने से भुखमरी के कगार पर पहुंच रहे ग्रामीणों के सामने जब कोई उम्मीद की किरण नहीं दिखी तब थक हार कर ग्रामीणों ने पूजा पाठ और अनुष्ठान का सहारा लिया।

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इस दौरान कटान पीड़ितों ने नदी के किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से पूजा पाठ और भजन कीर्तन करके गंगा मैया को प्रसन्न करने का अनुष्ठान किया, ताकि गंगा माता और देवी देवता प्रसन्न हो जिससे नदी की कटान रुक सके और ग्रामीणों की समस्याओं का निदान हो सके।

इस मामले मैं उप जिलाधिकारी रामजीत मौर्या का कहना है कि जो भी ग्रामीण कटान से प्रभावित होते हैं उन्हें सहायता उपलब्ध कराई जाती है लेकिन बढ़ती कटान एक बड़ी समस्या है।

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