एजेंसी/ कोलकाता : पश्चिम बंगाल में चुनाव ने गर्मी और बढ़ा दी है। अब जब चार चरणों के चुनाव संपन्न हो चुके है, तो तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी के दोबारा सरकार गठन को लेकर कयास लगाए जाने लगे है। लेकिन शारदा स्कैम औऱ नारदा स्टिंग ऑपरेशन को देखते हुए ये राह इतनी आसान नहीं लगती, जितनी पिछले विधानसभा चुनाव में थी।
आम लोगों की मानें तो ममता की छवि जनता के बीच बेहद साफ-सुथरी है। वो ईमानदार है, लेकिन इस बार शारदा और नारदा ने उनकी छवि को खराब किया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शारदा बिज़नेस समूह से क़रीबी संबंध बताए गए थे।
इस समूह पर घोटाले करने का आरोप है। चुनाव से कुछ दिनों पहले ही नारदा न्यूज़ नाम की एक वेबसाइट ने एक ख़बर में तृणमूल के कई नेताओं के स्टिंग आपरेशन दिखाए गए थे जो कथित तौर पर रिश्वत से संबंधित थे। दूसरी ओर सीटों पर गौर करे, तो पश्चिम बंगाल में कुल 294 सीटें है।
जिसमें दक्षिण से लेकर 24 परगना तक अलग-अलग लोग और उनके मुद्दे भी अलग-अलग है। टीएमसी अगर चुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है, तो कांग्रेस और वाम मोर्चा का गठबंधन भी पूरी ताकत लगा रहा है।
बीजेपी के उम्मीदवार और सुभाष चंद्र बोस के पड़पोते चंद्र बोस का कहना है कि उनका सीधा मुकाबला ममता बनर्जी से है। उन्होने कहा कि यह सिर्फ नाम का परिवर्तन था, सब कुछ वैसे ही चलता रहा जैसे वाममोर्चे की सरकार के दौरान था।
अब लोग सही मायने में परिवर्तन चाहते हैं और इनके पास अब बीजेपी की नीतियों का विकल्प है। उधर, तृणमूल के अमिताभ मजूमदार कहते हैं कि ममता बनर्जी का किसी से कोई मुक़ाबला नहीं है। उनका दावा है कि पिछले पांच सालों में उनकी पार्टी ने आम लोगों को राहत पहुंचाने का काम किया है चाहे वो सस्ते मूल्य के चावल हों या फिर सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाएं।
कांग्रेस के नेता तरुण देब ने दावा किया है कि वाम मोर्चा और कांग्रेस की साझा उम्मीदवार दीपा दशमुंशी ममता बनर्जी को कड़ी टक्कर दे रही हैं और लोगों को समझ में आ गया है कि सत्ता हासिल करने के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेता भ्रष्टाचार में किस क़दर लिप्त रहे।