गवर्नर बनते ही शक्तिकांत दास पर बीजेपी के दिग्गज नेता का बड़ा आरोप- पीएम को खत लिखकर दी ये जानकारियां

नई दिल्ली। आरबीआई के नए गवर्नर नियुक्त होने के बाद अब बड़ी चुनौतियों के साथ बड़े सवाल भी खड़े हो रहे हैं। बता दें शक्तिकांत दास ने 12 दिसंबर यानी बुधवार को आरबीआई के गवर्नर का पदभार संभाला। इसके फ़ौरन बाद ही भाजपा के दिग्गज नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने केंद्र के इस फैसले का विरोध किया। इतना ही नहीं शक्तिकांत दास के गवर्नर पद पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने पीएम मोदी को इस बाबत एक ख़त भी लिखा है।

खबरों के मुताबिक़ सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि दास को आरबीआई गवर्नर के तौर पर नियुक्त करना गलत फैसला है, क्योंकि वह पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेसी नेता पी.चिदंबरम के साथ भ्रष्टाचार संबंधी गतिविधियों में लिप्त रहे हैं। यही नहीं, वह चिदंबरम को अदालती मामलों में बचाने की कोशिश कर चुके हैं। मुझे नहीं मालूम कि यह फैसला क्यों लिया गया।

बता दें बुधवार सुबह 10 बजे उन्होंने आरबीआई के 25वें गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाला है। दास ने ट्वीट कर कहा,‘ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर के रूप में कार्यभार संभाल लिया। शुभकामनाएं देने के लिए आप सबका धन्यवाद।’

ध्यान रहे, नोटबंदी के बाद आर्थिक गतिविधियों को सामान्य बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले 1980 बैच के पूर्व आईएएस अधिकारी शक्तिकांत दास की नियुक्ति तीन साल के लिए की गई है।

शक्तिकांत दास की नियुक्ति के संदर्भ में दिए गए आधिकारिक आदेश में कहा गया कि मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग के पूर्व सचिव शक्तिकांत दास को तीन साल के लिए आरबीआई के गवर्नर पद पर नियुक्त किए जाने को मंजूरी दे दी।

दास मई, 2017 में वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग के सचिव पद से सेवानिवृत हुए। वह जी-20 सम्मेलन के लिए भारत के शेरपा और वित्त आयोग के सदस्य भी रहे।

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आपको बता दें कि शक्तिकांत दास दास ने ऐसे समय में रिजर्व बैंक की कमान संभाली है, जब आरबीआई के सामने केन्द्र सरकार से चल रही स्वायत्ता की खींचातन के साथ-साथ सुस्त घरेलू अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्तर पर गंभीर चुनौतिया खड़ी हैं।

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उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती केन्द्रीय रिजर्व बैंक की साख बचाने की है। जिस तरह से पिछले दो गवर्नर उर्जित पटेल और रघुराम राजन ने केन्द्र सरकार से खींचतान के बीच इस्तीफा दिया। दास के सामने जल्द से जल्द इस खींचतान को खत्म करते हुए रिज़र्व बैंक की स्वायत्ता को सुनिश्चित करना होगा।

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