वो मंदिर जहां भर जाती है निसंतान दंपत्तियों की गोद, बस करना होगा ऐसा…

रिपोर्ट- बलवंत रावत

टिहरी  : देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड की अपनी अलग परम्परा है और यहां के प्रत्येक गांव का अपना एक कुल देवता होता है जो किसी न किसी भगवान के रूप में पूजा जाता है. आज हम आपकों बताने जा रहे हैं प्रतापनगर के सिद्धपीठ ओणेश्वर महादेव के बारे में जहां भगवान शंकर की पूजा अर्चना से निसंतान दंपत्तियों की गोद भर जाती है.

देवल

टिहरी जिले के प्रतापनगर ब्लाक की ओण पट्टी के देवल गांव में भगवान शंकर का धार्मिक महत्व का यह मंदिर विशेष शिवालय के रूप में जाना जाता है और यही एक ऐसा शिवालय है जिस पर सीधे कोई जल और पूजा सामाग्री नहीं चढ़ा सकता है.

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वेद पुराण और शास्त्रों में भी ओणेश्वर महादेव के महात्मय के बारे में बताया गया है और निसन्तान दंपत्तियों के लिए तो ओणेश्वर महादेव एक वरदान है. महाशिवरात्रि के दिन निसन्तान दंपत्ती यहां हाथ में दीपक लेकर पूरी रात शिवलिंग पर टकटकी लगाकर देखते है जिससे उन्हें संतान प्राप्ति होती है, जिसके लिए यहां आसपास ही नहीं दूर दराज से लोग पहुंचते है और यहां विशाल मेले का भी आयोजन होता है।

 

ओणेश्वर महादेव में आस्था रखने वाले देश के चाहे किसी भी कोने में हो वो महाशिवरात्रि के दिन यहां पहुंचते हैं. ओण पट्टी में चाहे फसलों की बुआई हो या रोपाई और कटाई सबसे पहले ओणेश्वर देवता के खेत से ही शुरू की जाती है. देवता के खेत में पैदा होने वाले धान से ही मंदिर के शिवलिंग का लेपन किया जाता है. इस शिवलिंग पर जल या कोई भी चढ़ावा रावल के माध्यम से ही होता है।

 

उत्तराखंड के कण कण में भगवान किसी न किसी रूप में विराजमान है जिसे कई सिद्धपीठों के रूप में देखा जा सकता है और सभी की अपनी अपनी अलग मान्यता और आस्था है. उन्हीं में से ओणेश्वर महादेव निसन्तान दंपत्तियों के लिए एक ऐसा धार्मिक आस्था का मंदिर है जहां से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटा।

 

 

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