जज्बे को सलाम, इस शख्स के पैरों से बदलेगी देश की राजनीति

नई दिल्ली। अगर आप सोचते हैं कि दिव्यांग वोट नहीं दे सकते, तो आपकी सोच गलत है। केरल का एक नौजवान अपने हाथ खोने के बावजूद सोमवार को वोट देने बूथ पर पहुंचा। वोट का अधिकार इस युवा के लिए बेहद अहम है।

वोट का अधिकार

वोट का अधिकार

25 साल के अब्दु समद केरल के मलप्पुरम में रहते हैं। 18 साल की उम्र में जब समद वोट देने लायक बने, तभी एक हादसे में उनके हाथ नहीं रहे।

भारत में 18 साल की उम्र में वोट देने का अधिकार मिलता है। लेकिन हादसे ने समद ने यह अधिकारी छीन दिया। हालांकि समद ने हिम्मत नहीं हारी।

समद कहते हैं, ‘मैंने सोचा कि वोट न देने के लिए कोई बहाना नहीं चलेगा। जो लोग कहते हैं कि राजनीति में गंदगी भरी हुई है। उन्हें बदलाव लाने के लिए अपने वोट का अधिकार इस्तेमाल करना होगा।’

समद मानते हैं कि एक-एक वोट देश की तस्वीर बदल सकता है। सोशियोलॉजी से एमए कर रहे समद को करंट लगने से उनके हाथ काटने पड़े।

सोमवार को समद अपने पैरों के सहारे पोलिंग बूथ तक गए। उन्होंने एक पैर पर खड़े होकर दूसरे पैर से वोट दिया। इस सीन की तस्वीर भी खींची।

समद के हाथ नहीं हैं, इसलिए उनके पैर के अंगूठे पर वोट देने के बाद इंक लगाई गई। उन्होंने अपने पैरों से ही बतौर मतदाता साइन भी किया।

इतना ही नहीं समद ने अपने पसंदीदा कैंडीडेट को वोट दिलाने के लिए अपने वार्ड का दौरा भी किया। वह रोजाना लोगों से मिलकर अपने पसंदीदा प्रत्याशी को वोट देने की अपील करते थे।

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