वैशाख अमावस्या के ही दिन से हुआ था त्रेता युग का आरंभ, आज के दिन करें ये काम

वैशाख हिंदू वर्ष का दूसरा माह होता है। मान्यता है कि इसी माह से त्रेता युग का आरंभ हुआ था इस कारण वैशाख अमावस्या का धार्मिक महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है। इस दिन अगर पूरे विधि-विधान से पूजा-पाठ किया जाए तो इससे भगवान प्रसन्न होते हैं और पूजा करने वाले को सभी कष्टों और दुखों से दूर रखते हैं।

वैशाख अमावस्या

वैशाखी अमावस्या पर अपने पित्रों के मोक्ष की कामना से व्रत उपवास अवश्य रखें । कहा जाता है कि इस दिन पित्रों के निमित्त जो भी उपाय, दान, पुण्य आदि के कार्य किये जाते हैं, उससे तृप्त होकर हमारे पूर्वज हमारी सभी मनोकामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं ।

कोरिया में सबसे ज्यादा कमाई जाने वाली फिल्मों में से एक पर बनी भारत की कहानी है रोचक

1- इस दिन पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करके सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए । जल में काले तिल मिलाकर पित्रों के निमित्त तर्पण करना चाहिए ।

2- पित्रों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं उपवास करें एवं किसी गरीब व्यक्ति को भोजन करना या दान-दक्षिणा देना चाहिए ।

3- वैशाखी अमावस्या के दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए शनि देव का तिल, तेल और पुष्प आदि से पूजन करना चाहिए ।

4- वैशाखी अमावस्या के दिन सूर्योदय के समय पीपल के पेड़ पर मीठा जल चढ़ाना चाहिए ।

5- वैशाखी अमावस्या को पित्रों की कृपा पाने के लिए सूर्यास्त के बाद सरसों के तेल का एक दीपक जलाना चाहिए ।

6- वैशाखी अमावस्या के दिन तर्पण के साथ पिंडदान भी करने का नियम है, इसलिए अपने घर या किसी पवित्र तीर्थ स्थल पर जाकर तर्पण एवं पिंडदान करना चाहिए।

LIVE TV