वैज्ञानिकों ने बताया ब्लैक होल में जाने का रास्ता, लेकिन वापस आना नामुमकिन

हर वैज्ञानिक एक ना एक दिन ब्लैक होल में जाने का सपना तो जरूर देखता होगा, ये इतने रहस्मयी होते हैं कि वैज्ञानिकों को इनके बारे में जानने की काफी उत्सुकता रहती है। हाल ही में दो फिजिसिस्ट्स ने ब्लैक होल में दाखिल होने के लिए जरूरी स्थितियों का पता लगा लिया है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्लैक हॉल में जाना वन-वे ट्रिप होगी क्योंकि ब्लैक होल से तो रोशनी भी बाहर निकल सकती तो किसी इंसान के बाहर आने की संभावना जताना बेकार है। ग्रिनेव कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर लियो और शंशान रॉड्रीकस ने ब्लैक होल के दो आकार की आपस में तुलना की है। 

इसमें से एक सितारे का द्रव्यमान सूरज के बराबर था और दूसरे महाविशाल ब्लैक होल का द्रव्यमान सूरज से अरबों गुना ज्यादा था। छोटे ब्लैक होल रोटेट नहीं होते और इनके इवेंट होराइजन का रेडियस काफी कम होता है। यह वजह जगह होती है, जिसके आगे निकलने के बाद कुछ वापस नहीं आता है।

यहां गुरुत्वाकर्षण का असर बहुत ज्यादा होता है। इसके अलाव दूसरे महाविशाल ब्लैक होल के इवेंट होराइजन का रेडियस 7.3 लाख मील होता है। दोनों के केंद्र और इवेंट होराइजन के बीच गुरुत्वाकर्षण में हजारों बिलियन गुना अंतर होता है। अगर कोई स्टैलर ब्लैक होल के इवेंट होराइजन का पार करता है तो वह स्पहागेटिफिकेशन की प्रक्रिया से गुजरता है।

इसमें उसके शरीर का हर ऐटम लंबे स्ट्रैंड से खिंच जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अंतरिक्ष समय में एक प्वाइंट पर गुरुत्वाकर्षण दूसरे प्वाइंट से बहुत ज्यादा होता है। ऐसा होने पर ब्लैक होल में जीवित रहना नामुमकिन है। हालांकि अगर कोई शख्स महाविशाल ब्लैक होल में गिरे तो वह फ्रीफॉल में होगा और उसका स्पहागेटिफिकेशन नहीं होगा। इसके पीछे कारण यह है कि इवेंट होराइजन से ब्लैक होल के बीच की दूरी काफी ज्यादा होती है। 

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