वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की बड़ी घोषणा, भारत में होगी डिजिटल जनगणना

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश करते हुए कई घोषणाएं कीं हैं। डिजिटल जनगणना भी उसी में शामिल है। उन्होंने कहा कि अब देश में डिजिटल जनगणना होगी और इसके लिए 3,768 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

भारत के इतिहास में पहली बार डिजिटल जनगणना होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार एक राष्ट्रीय भाषा अनुवाद पहल पर भी काम कर रही है। हालांकि गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही इसके संकेत दिए थे। उन्होंने कहा था कि 2021 की जनगणना मोबाइल फोन एप्लिकेशन के माध्यम से की जाएगी, जिससे हमें कागज से डिजिटल जनगणना की तरफ जाने में मदद मिलेगी। 

अमित शाह ने कहा था कि डिजिटल जनगणना इसलिए की जाएगी, क्योंकि डिजिटल इंडिया को इससे बढ़वा मिल सकेगा। उन्होंने बताया था कि जनगणना के आंकड़ों को एक मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से इकट्ठा किया जाएगा। यह एप्लीकेशन 16 भाषाओं में तैयार की जाएगी। इसमें 12,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी। उन्होंने कहा था कि इस मोबाइल ऐप पर लोग खुद की और अपने परिवार के बारे में जानकारियां अपलोड कर सकेंगे। 

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने द्वीट करके कहा कि ‘देश के पहले पेपरलेस बजट में डिजिटल जनगणना की भी घोषणा की गई है। इससे किसी भी प्रकार की धांधली की गुंजाइश नहीं होगी और देश के सामने सही तथ्य सामने आएंगे।’ 

साल 2011 में जो जनगणना हुई थी, उसके मुताबिक देश की कुल आबादी 121 करोड़ थी। सरकार ने घोषणा की थी कि अगली जनगणना एक मार्च 2021 से शुरू होगी। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एक नोटिफिकेशन भी जारी किया था और कहा था कि यह फैसला केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 3 के तहत लिया गया है। 

कब से हुई जनगणना की शुरुआत

देश की आजादी के बाद पहली बार साल 1951 में जनगणना हुई थी और इसके बाद हर 10 साल के अंतराल पर जनगणना होती है। जनगणना में सिर्फ लोगों की ही गिनती नहीं होती बल्कि इसके जरिए लोगों की शिक्षा, उनकी आर्थिक स्थिति, जन्म और मृत्यु दर जैसे कई पैमानों पर जनगणना की जाती है। इसमें समय और पैसा दोनों ही बहुत खर्च होते हैं, लेकिन डिजिटल जनगणना से इसमें काफी बचत होगी।

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