कभी फुटपाथ पर बिताई जिंदगी, आज महलों में करते हैं राज

विकास चौधरीमुंबई। जेएसडब्ल्यू स्टील के वीपी (ट्रेजरी), विकास चौधरी के सफलता हासिल करने तक के सफर की कहानी बहुत प्रेरणादायक है। वह कोलकाता के एक धोबी के बेटे हैं। उनके पिता पूर्व भारतीय क्रिकेटर अरुण लाल के परिवार के कपड़े प्रेस करते थे। चौधरी अपने परिवार में इंग्लिश मीडियम में पढ़ने वाले पहले व्यक्ति हैं। लाल की पत्नी देबजानी ने 12 वर्ष की उम्र में चौधरी को अंग्रेजी भाषा सिखाना शुरू किया था। हालांकि, चौधरी के लिए अंग्रेजी सीखने के साथ ही मिलने वाला ऑरेंज स्क्वैश एक बड़ा आकर्षण था।

विकास चौधरी का सफर

चौधरी ने मुंबई के अपने अपार्टमेंट में एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि वह रोज वहां पढ़ने जाते थे क्योंकि उन्‍हें ऑरेंज स्क्वैश मिलता था। लाल परिवार के अपने बच्चे नहीं हैं। उन्होंने चौधरी को पढ़ाई में काफी मदद की। चौधरी अपना समय लाल के घर और भवानीपुर में अपने पिता के फुटपाथ पर मौजूद ठिकाने पर बिताते थे। उन्होंने बीकॉम और एमकॉम करने के बाद 2000 में कैट की परीक्षा पास कर आईआईएम-कोलकाता में एडमिशन लिया। इसके बाद उन्होंने डोएचे बैंक, क्रेडिट एग्रीकोल में काम किया। वह कुछ समय तक लंदन में भी नौकरी कर चुके हैं।

विकास कहते हैं कि उनके दो अभिभावक हैं। पहले तो अरुण लाल और उनकी पत्नी और दूसरे खुद उनके अपने माता-पिता। चौधरी खुद फोक्सवैगन वेंटो और रेनॉ डस्टर चलाते हैं, लेकिन उन्होंने अरुण लाल को मर्सिडीज गिफ्ट में दी है। लाल परिवार जब एक अपार्टमेंट से बंगले में शिफ्ट होना चाहता था तो चौधरी ने उनकी फाइनेंशियल मदद भी की थी। चौधरी ने अपनी बेटी का नाम अरुणिमा रखा है, जो लाल परिवार के प्रति उनके स्नेह को दर्शाता है।

यह पूछने पर कि अपनी इस फर्श से अर्श तक की कहानी से वह किस तरह व्यक्ति बने हैं, चौधरी ने कहा कि वह एक बेहतर इंसान बनने की उम्मीद रखते हैं। वह अपनी पत्नी कामना से कहते हैं कि अगर वह अपने अभिभावकों का करीब 50 पर्सेंट भी बन पाते हैं, तो जीवन को सफल मानेंगे। वह रोज एक अच्छा काम करने की कोशिश करते हैं। उनके पास बहुत कुछ है और वह जितना अधिक हो देने की कोशिश करते हैं।

विकास चौधरी को पढ़ना काफी पसंद है। हालांकि, आईआईएम में मैथ उनके लिए एक चुनौती भरा विषय रहा था। उन्होंने बताया कि पहले महीने में मैथ ने उनहें काफी परेशान किया। उन्‍हें लगता था कि वह उसे पास नहीं कर सकेंगे। उस समय उनके एक मित्र मनोज गोयल और कुछ सीनियर स्टूडेंट्स ने उनकी मदद की। इंस्टीट्यूट बहुत अच्छा था और वह वहां काफी लोकप्रिय हो गए थे। मुंबई में एचएसबीसी की ग्लोबल मार्केट्स टीम में काम कर रहे गोयल ने बताया कि उन्होंने चौधरी की मैथ में मदद की थी और उन्हें भी चौधरी से जीवन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें सीखने में मदद सहायता मिली।

चौधरी ने कोलकाता में अपनी जड़ों के साथ अभी भी नाता कायम रखा है। विकास चौधरी ने बताया कि उनके अभी भी वहां दोस्त हैं। वह उनके साथ समय बिताते हैं। उनमें से कुछ संघर्ष कर रहे हैं। वे आमतौर पर उनसे मदद नहीं मांगते। अगर वे मदद मांगते हैं तो वह उनके लिए कुछ करने की कोशिश जरूर करते हैं।

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