बिना तोड़-फोड़ के ही वास्तुजनित दोषों से निजात पाने के लिए अपनाएं वास्तुदोष निवारण के ये उपाय

मकान बनाते समय भूल या परिस्थितिवश कुछ वास्तुदोष रह जाते हैं. इन दोषों के निवारण के लिए यदि आप बताए जा रहे उपाय कर लें, तो बिना तोड़-फोड़ के ही वास्तुजनित दोषों से निजात पा सकते हैं.

तोड़-फोड़ के ही वास्तुजनित दोषों से निजात पाने के लिए अपनाएं वास्तुदोष निवारण के ये उपाय

  • यदि आपके मकान के सामने किसी प्रकार का वेध यानी खंभा, बड़ा पेड़ या बहुमंजिला इमारत हो तो इसकी वजह से आपका स्वास्थ्य या आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है. यदि वेघ दोष हो तो निम्न उपाय करना कारगर होगा.
  • अपने मकान के सामने लैम्प पोस्ट लगा लें.यदि यह संभव नहीं हो, तो घर के आगे अशोक का वृक्ष और सुगंधित फूलों के पेड़ के गमले लगा दें.तुलसी का पौधा स्वास्थ्य के लिए शुभ होता है.
  • यदि कोई बहुमंजिली इमारत आपके सामने हो, तो फेंगशुई के अनुसार अष्ट कोणीय दर्पण, क्रिस्टल बाल तथा दिशा सूचक यंत्र लगा सकते हैं.
  • बड़ा गोल आईना मकान की छत पर ऎसे लगाएं कि मकान की संपूर्ण छाया उसमें दिखाई देती रहे.
  • यदि मकान के पास में फैक्टरी का धुआं निकलता हो, तो एग्जास्ट पंखा या वृक्ष लगा लें.
  • यदि मकान में बीम ऎसी जगह हो जिसके कारण आप मानसिक तनाव महसूस करते हो तो बीम से उत्पन्न होने वाले दोषों से बचाव के लिए यह उपाय अपना सकते है.

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  • शयनकक्ष में बीम हो, तो इसके नीचे अपना बैड या डाइनिंग टेबल नहीं लगाएं. यदि ऑफिस हो तो मेज व कुर्सियां नहीं रखें.
  • बीम के दोनों ओर बांसुरी लगा दें. इससे वास्तुदोष निवारण हो जाता है.
  • पवन घंटी बीम के नीचे लटका दें या बीम को सीलिंग टायलस से ढक दें.
  • बीम के दोनों ओर हरे रंग की गणपति प्रतिमा लगा दें. यह वास्तु दोषनाशक मानी जाती है.
  • यदि मकान का कोई कोना आपके मुख्य द्वार के सामने आए, तो स्पॉट लाइट लगाएं. जिससे प्रकाश आपके घर की ओर रहे तथा सीधा ऊंचा वृक्ष बीच में लगा दें.
  • शयनकक्ष में घी का दीपक व अगरबत्ती करें जिससे मन प्रसन्न रहे. इस बात का घ्यान रखें कि झाड़ू शयनकक्ष में नहीं रखें.
  • मकान में मुख्य द्वार पर देहरी बना लें. इससे बुरे व अन्य दोष घर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं.
  • ईशान कोण के दोष के लिए इस दिशा में पानी से भरा मटका रखें. इस कोण को साफ-सुथरा रखे.
  • अग्नि कोण दोष निवारण के लिए कोने में एक लाल रंग का बल्ब लगा दें जो दिन-रात जलता रहे.
  • वायव्य कोण दोष निवारण के लिए इस ओर की खिड़कियां खुली रखें, ताकि वायु आ सके.एजॉस्ट पंखा भी लगा सकते हैं.
  • नैऋत्य कोण दोष निवारण के लिए इस कोने को भारी बनाएं.स्टोर बनाना यहां शुभ होता है.
  • शयनकक्ष में दर्पण का प्रतिबिंब पलंग पर न पड़े तथा डबल बेड पर एक ही गद्दा रखें, तो ठीक रहेगा.
  • पति-पत्नी में प्रेम के लिए प्रेमी परिंदे का चित्र या मेडरिन बतख का जोड़ा रखें अथवा सपरिवार प्रसन्नचित मुद्रा वाला चित्र लगाएं.
  • डायनिंग टेबल को प्रतिबिंबित करने वाला आईना आपके सद्भाव व भाग्य में वृद्धि करता है, इसे लगाएं.
  • पूजा घर पूर्व-उत्तर (ईशान कोण) में होना चाहिए तथा पूजा यथासंभव प्रातः 06 से 08 बजे के बीच भूमि पर ऊनी आसन पर पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके बैठ कर ही करनी चाहिए.
  • पूजा घर के पास उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) में सदैव जल का एक कलश भरकर रखना चाहिए. इससे घर में सपन्नता आती है। मकान के उत्तर पूर्व कोने को हमेशा खाली रखना चाहिए.
  • घर में कहीं भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखना चाहिए. उसे पैर नहीं लगना चाहिए, न ही लांघा जाना चाहिए,अन्यथा घर में बरकत और धनागम के स्रोतों में वृद्धि नहीं होगी.

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  • पूजा घर में तीन गणेशों की पूजा नहीं होनी चाहिए, अन्यथा घर में अशांति उत्पन्न हो सकती है. तीन माताओं तथा दो शंखों का एक साथ पूजन भी वर्जित है. धूप, आरती, दीप, पूजा अग्नि आदि को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझाएं.पूजा कक्ष में, धूप, अगरबत्ती व हवन कुंड हमेशा दक्षिण पूर्व में रखें.
  • घर में दरवाजे अपने आप खुलने व बंद होने वाले नहीं होने चाहिए. ऐसे दरवाजे अज्ञात भय पैदा करते हैं. दरवाजे खोलते तथा बंद करते समय सावधानी बरतें ताकि कर्कश आवाज नहीं हो. इससे घर में कलह होता है. इससे बचने के लिए दरवाजों पर स्टॉपर लगाएं तथा कब्जों में समय समय पर तेल डालें.
  • खिड़कियां खोलकर रखें, ताकि घर में रोशनी आती रहे.
  • घर के मुख्य द्वार पर गणपति को चढ़ाए गए सिंदूर से दायीं तरफ स्वास्तिक बनाएं.
  • महत्वपूर्ण कागजात हमेशा आलमारी में रखें. मुकदमे आदि से संबंधित कागजों को गल्ले, तिजोरी आदि में नहीं रखें, सारा धन मुकदमेबाजी में खर्च हो जाएगा.

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  • घर में जूते-चप्पल इधर-उधर बिखरे हुए या उल्टे पड़े हुए नहीं हों, अन्यथा घर में अशांति होगी.
  • सामान्य स्थिति में संध्या के समय नहीं सोना चाहिए. रात को सोने से पूर्व कुछ समय अपने इष्टदेव का ध्यान जरूर करना चाहिए.
  • घर में पढ़ने वाले बच्चों का मुंह पूर्व तथा पढ़ाने वाले का उत्तर की ओर होना चाहिए.
  • घर के मध्य भाग में जूठे बर्तन साफ करने का स्थान नहीं बनाना चाहिए.
  • उत्तर-पूर्वी कोने को वायु प्रवेश हेतु खुला रखें, इससे मन और शरीर में ऊर्जा का संचार होगा.

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